रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने चीन के शी जिनपिंग से मुलाकात की, यूरोप के खिलाफ गोलबंदी के संकेत!
Russia China Relations: रूस पर यूरोपीय प्रतिबंधों के बाद हो रहे आर्थिक नुकसान को दूर करने में चीन मददगार साबित हो सकता है.
Russia China Relations: रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने अचानक बीजिंग का दौरा करके सबको चौंका दिया है. पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने अपने बीजिंग दौरे पर चीनी के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात की है. दोनों नेताओं की मुलाकात रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा के इर्द गिर्द रही.
पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव मौजूदा समय में रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने अपने टेलीग्राम चैनल पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें मेदवेदेव को शी जिनपिंग से मुलाकात करते, तस्वीरों में मुस्कुराते हुए, चीनी और रूसी अधिकारियों के बीच बैठक करते हुए दिखाया गया है.
यूक्रेन को लेकर चर्चा
मेदवेदेव ने शी के साथ मुलाकात करने के बाद कहा कि उन्होंने और शी जिनपिंग ने रूस और चीन की रणनीतिक साझेदारी के साथ-साथ यूक्रेन पर भी चर्चा की. मगर मेदवेदेव ने मीडिया से ज्यादा कुछ नहीं बताया.
मेदवेदेव ने कहा, "हमने चीन और रूस की दो सत्ताधारी पार्टियों के बीच सहयोग पर चर्चा की... अर्थव्यवस्था और औद्योगिक उत्पादन सहित हमारी रणनीतिक साझेदारी के भीतर द्विपक्षीय सहयोग समेत हमने अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की. इस बातचीत में यूक्रेन में संघर्ष भी शामिल है."
रूस का बीजिंग की ओर तेजी से झुकाव
मेदवेदेव ने आगे कहा, 'हमारी बातचीत उपयोगी रही.' बता दें कि रूस का बीजिंग की ओर तेजी से झुकाव हो रहा है. क्योंकि रूस ने जब से यूक्रेन पर हमला किया है तब से कई यूरोपीय देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. अपने ऊपर लगाए गए यूरोपीय प्रतिबंधों को रूस "एक विशेष सैन्य अभियान" कहता है.
रूस को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान
यूरोप के द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उसे आर्थिक तौर पर काफी नुकसान हो रहा है. रूस और चीन के पास आने की एक यह भी वजह मानी जा रही है. साथ ही संभवत: रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने रूस के घाटे को कम करने के लिए यह यात्रा की है.
वहीं, रूस अपने पश्चिमी देशों से बिगड़े संबंधों से अपने नुकसान की भरपाई के लिए चीन के साथ घनिष्ठ आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों को बढ़ावा देने की मांग कर रहा है. रूस चीन को पश्चिमी देशों के विरोधी गठबंधन के एक संभावित सहयोगी के रूप में देख रहा है.
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