रूस के खिलाफ क्यों खुलकर सामने नहीं आ रहा भारत? अमेरिका के पूर्व राजनयिक ने कही ये बात
रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ जहां यूक्रेन रूस, दोनों देशों में से कोई भी एक झुकने को तैयार नहीं है वहीं दूसरी तरफ रूस के इस तरह हमले से कई देश उसके खिलाफ हो रहे हैं
Russian Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आज 13वां दिन है. इस जंग में कुछ देश रूस का समर्थन का साथ दे रहे हैं तो कुछ देश यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं. लेकिन भारत का पक्ष अभी साफ नहीं है. भारत खुलकर किसी देश का समर्थन नहीं कर रहा है और न ही रूस पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाया है. इस पर अमेरिका के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक ने सांसदों से कहा है कि भारत की रूस को लेकर कुछ मजबूरियां हैं और उसके पड़ोसी देश चीन के साथ क्षेत्र को लेकर मुद्दे हैं. उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण पर संयुक्त राष्ट्र में कई बार मतदान से भारत के दूर रहने पर सांसदों के सवालों के जवाब में यह टिप्पणियां की.
'यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल' (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने कहा, "भारत की रूस के साथ मजबूरियां हैं, उनकी अपने पड़ोस में चीन के साथ क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर मजबूरियां हैं. मुझे लगता है कि अमेरिकियों के तौर पर हमारी भारतीयों के प्रति उनके लोकतंत्र और उनकी व्यवस्था के बहुलवाद को लेकर आत्मीयता है." विदेश मंत्रालय में कई पदों पर काम कर चुके केशप ने सदन की विदेश मामलों की समिति द्वारा हिंद-प्रशांत पर आयोजित कांग्रेस की सुनवाई के दौरान यह कहा.
कांग्रेस सदस्य अबिगैल स्पैनबर्जर ने पूछा, 'आपको क्या लगता है कि भारत रूस और रूसी हितों पर दुनियाभर में कई देशों द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों को लागू करने का कैसे प्रयास करेगा?' इस पर केशप ने कहा, 'इस पर मेरी राय यह है कि सभी देश अपने फैसले खुद लेते हैं, वे खुद अपना आकलन करते हैं, वे सभी जानकारियां लेते हैं और फिर निर्णय लेते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा होगा.'
साथ ही उन्होंने कहा कि 'भारत हाल में विशेष रूप से व्यापार व्यवस्था पर बहुत अधिक महत्वाकांक्षा और उद्यमशीलता की भावना दिखा रहा है. अगर आप ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और इजराइल के साथ उनकी बातचीत को देखे, तो यह वाकई दिलचस्प है कि वे उन देशों के साथ अपने रिश्ते को कैसे प्राथमिकता दे रहे हैं.'
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