France Pension Reform: फ्रांस में इन दिनों सरकार के खिलाफ पेंशन सुधार को लेकर प्रदर्शन किए जा रहे है. इसी बीच संसद में सोमवार (20 मार्च) को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिसमें सरकार बाल-बाल बच गई. मामूली अंतर से मैक्रों ने विश्वास मत तो हासिल कर लिया लेकिन जनता का भरोसा मैक्रों से उठ गया है. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सेंट्रल पेरिस में कचरे की ढेर में आग लगा दी.


पेरिस के सबसे प्रतिष्ठित जगहों में से एक जगह पर जलते हुए कचरे के ढेर को बुझाने के दौरान प्रदर्शनकारियों और फायरमैन में हाथापाई हो गई. पुलिसबल के साथ प्रदर्शनकारियों का चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है.


अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर वोटों की संख्या उम्मीद से ज्यादा करीब


रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले 16 मार्च को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे थे. यूनियनों और विपक्षी दलों ने कहा कि वे यू-टर्न लेने की कोशिश करने के लिए विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे. अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर वोटों की संख्या उम्मीद से ज्यादा करीब रहा. इसमें 278 सांसदों ने अविश्‍वास प्रस्‍ताव का समर्थन किया और सफल होने के लिए आवश्यक 287 में से सिर्फ नौ वोट ही कम हुए.


विरोधियों का कहना है कि ये मैक्रों के पेंशन बिल पर एक संसदीय वोट को दरकिनार करने के फैसले को दर्शाता है, जिसने अविश्वास प्रस्ताव को गति दी. इसका परिणाम यह रहा कि मैक्रों के सुधारवादी एजेंडे को कमजोर कर दिया है और उनके नेतृत्व को कमजोर कर दिया.


पेंशन सुधार को लेकर प्रदर्शनकारियों का संघर्ष जारी 
अविश्वास मत की विफलता की घोषणा होने पर वामपंथी ला फ्रांस इंसूमिस (LFI, फ्रांस अनबोड) के सांसदों ने चिल्लाया- इस्तीफा...इस्तीफा.... उन्होंने कार्ड बोर्ड में लिखा, हम सड़कों पर मिलेंगे. LFI के संसदीय समूह के प्रमुख मथिल्डे पनोट ने कहा कि कुछ भी हल नहीं हुआ है, हम वह सब करना जारी रखेंगे, जिससे इस सुधार को वापस लिया जा सके और भी स्ट्राइक करेंगे.


दरअसल नए पेंशन बिल में कर्मचारियों को 62 की जगह 64 साल की उम्र तक काम करना होगा. पूरी पेंशन के लिए जरूरी मिनिमिम सर्विस का टर्म भी बढ जाएगा. अब पूरी पेंशन लेने के लिए 42 की जगह 43 साल काम करना जरूरी होगा. कर्मचारी इसके लिए तैयार नहीं हैं और लगातार विरोध कर रहे हैं.


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