फ्रांस में बुधवार को लौवर म्यूजियम के लिए 228 सालों के बाद पहली बार किसी महिला को बॉस बनाकर इतिहास रच दिया है. इस महिला का नाम लॉरेंस डेस कार्स है. वो कला के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती हैं. वहीं लौवर के नए प्रमुख के रूप में नियुक्त होने के बाद वो दुनिया के सबसे बड़े म्यूजियम की प्रभारी बन गई हैं.


वैसे डेस कार्स वर्तमान में 19वीं सदी की कला को समर्पित पेरिस ऐतिहासिक म्यूजियम मुसी डी ऑर्से चलाती हैं. जहां वो पहले से ही पहली महिला बॉस हैं. उनके कला के प्रति समर्पण के चलते ही आज ज्यादा से ज्यादा यूथ म्यूजियम में आता है और अपना समय बिताता है. वहीं 54 साल की लॉरेंस डेस ने इन 4 सालों के दौरान कुछ विवादास्पद विषयों का अध्ययन किया है. इसमें नाजियों के लूटे गए कार्यों को बहाल करना भी शामिल है.


चोरी हुई पेंटिंग का इतिहास


लॉरेंस डेस ने कहा कि 'एक महान म्यूजियम को इतिहास को दिखाना चाहिए, जिसमें हमारे अपने संस्थानों का इतिहास भी शामिल हो'. दरअसल लॉरेंस ने फ्रांस के उस इतिहास को दिखाने की कोशिश की है जिसमें ऑरसे ने गुस्ताव क्लिम्ट की पेंटिंग 'रोजेज' को उसके पिछले मालिक नोरा स्टियसनी के उत्तराधिकारियों को वापस सौंप दिया था. वहीं नाजियों ने उत्तराधिकारियों से फिर उस पेंटिंग को चुरा लिया था.


लॉरेंस को मिलेगा जीन ल्यूक मार्टिनेज का स्थान


लॉरेंस डेस कार्स के मुताबिक म्यूजियम की साल 2019 की प्रदर्शनी 'ब्लैक मॉडल्स: फ्रॉम गेरिकॉल्ट टू मैटिस' फ्रांसीसी कला में पहले से अनदेखी काले आंकड़ों पर केंद्रित थी. वहीं डेस कार्स लेखकों और पत्रकारों के परिवार से आती हैं, इस वजह से उन्हें सितंबर में जीन ल्यूक मार्टिनेज का स्थान दिया जाएगा.


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