France Teacher Murder: पैगंबर मोहम्मद की तस्वीर बनाने के बाद टीचर की हुई थी हत्या, 3 साल बाद 6 स्टूडेंट्स दोषी, हो सकती है जेल
France Teacher: फ्रांस में पैटी नाम के हिस्ट्री टीचर पैटी की 16 अक्टूबर, 2020 को एक स्कूल के बाहर हत्या कर दी गई थी. उन्हें चेचन मूल के 18 साल के अब्दुल्लाख अंजोरोव ने मार दिया था.
France History Teacher Murder Case: फ्रांस की एक अदालत ने साल 2020 में हिस्ट्री टीचर सैमुअल पैटी की सिर कलम करने की घटना के मामले में शुक्रवार (8 दिसंबर) को 14 से 15 साल के 6 किशोरों को दोषी ठहराया. टीचर की हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया था. टीचर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बच्चों को पढ़ाते हुए क्लास में पैगंबर मोहम्मद का व्यंग्यचित्र दिखाया था. इस घटना से कुछ मुस्लिम माता-पिता नाराज हो गए थे.
इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग पैगंबर मोहम्मद की पिक्चर बनाने से बचते हैं. वो इसे ईशनिंदा से जोड़कर देखते हैं. मुकदमे में शामिल 6 लोगों में एक किशोर लड़की भी थी, जिसने अपने माता-पिता को बताया था कि पैटी ने मुस्लिम स्टूडेंट को कैरिकेचर (कार्टून) दिखाने से पहले कमरे से बाहर जाने के लिए कहा था. हालांकि, लड़की खुद उस दिन स्कूल नहीं आई थी.
आरोपी छात्रों ने की हत्यारे की मदद
पैटी की हत्या 16 अक्टूबर, 2020 को एक स्कूल के बाहर कर दी गई थी. उन्हें चेचन मूल के 18 साल के अब्दुल्लाख अंजोरोव नाम के शख्स ने मार दिया था और पैटी के सिर को धड़ से अलग कर दिया था. आरोपी छात्रों में से पांच पर आरोप लगाया गया था कि, उन्होंने पैटी के बारे में हमलावर को इशारा किया था. इसके बदले में बच्चों को 400 डॉलर देने के बात कही गई थी.
हालांकि, इस घटना के दौरान पुलिस ने अंजोरोव को गोली मार दी थी और वो मारा गया था. इस मामले पर बच्चों ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि पैटी को मार दिया जाएगा. अब इन लोगों के ढाई साल तक जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है.
किशोरों की पहचान रखी गई गुप्त
फ्रांस के मीडिया आउटलेट्स को नाबालिगों के संबंध में फ्रांसीसी कानूनों के कारण किशोरों की पहचान साझा करने से रोक दिया गया है. कोर्ट ने इस मामले के माध्यम से इस्लामोफोबिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे विषयों पर फ्रांसीसी समाज में पनपे विवाद को रेखांकित किया है. इसके अलावा फ्रांस में रहने वाले प्रवासी मुसलमानों का कहना है कि उन्हें फ्रांसीसी समाज में व्यापक भेदभाव और नस्लवाद का सामना करना पड़ता है.
मुस्लिम पहचान की अभिव्यक्तियों पर नकेल कसने के लिए धर्म को सार्वजनिक स्थानों से दूर रखने की कोशिश की जाती है. फ्रांस में राजनेता विशेष रूप से दक्षिणपंथी लोग अक्सर ऐसी बयानबाजी करते रहे हैं, जो मुसलमानों और अरबों को हिंसक और असभ्य के रूप में चित्रित करती है.