Emmanuel Macron: फ्रांस (France) के राष्ट्रपति (President) इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) के गठबंधन को रविवार को संसदीय चुनाव (Parliamentary Election) के अंतिम दौर में सबसे अधिक सीटें मिलीं, लेकिन अपना संसदीय बहुमत खो दिया. ये बात एग्जिट पोल के आधार पर कही जा रही है. आंशिक परिणामों पर आधारित अनुमानों (Exit Poll) से पता चलता है कि मैक्रों के उम्मीदवार 200 से 250 सीटों पर विजयी रहेंगे. सीटों की ये संख्या फ्रांस की संसद (France Parliament) के सबसे शक्तिशाली सदन नेशनल असेंबली (National Assembly) में सीधे बहुमत के लिए आवश्यक 289 सीटों से बहुत कम है.
ऐसे में जब तक मैक्रों अन्य दलों के साथ गठबंधन में सक्षम नहीं होते तब तक फ्रांस में एक कमजोर विधायिका की संभावना बढ़ गई है. अभी तक रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए यूरोपीय संघ के प्रमुख राजनेता के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश करने वाले इमैनुएल मैक्रों अपने ही घर में घिरते हुए दिख रहे हैं.
महंगाई और इस्लाम थे बड़ा मुद्दा
इन सबके बीच सरकारी प्रवक्ता ओलिविया ग्रेगोइरे ने बीएफएम टेलीविजन को बताया कि बेशक, यह पहली बार है जो कि निराशाजनक है. हम अपेक्षा से कम हैं. गौरतलब है कि हाल के हुए राष्ट्रपति चुनाव में महंगाई, रूस का यूक्रेन पर हमला और इस्लाम बड़ा मुद्दा बनकर उभरे थे. मैक्रों ने देश की जनता से कई सारे चुनावी वादे भी किए थे, जिसमें पेंशन की उम्र को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करना और बेरोजगारों को सामाजिक सुरक्षा लाभ देना था. हालांकि, ताजा घटनाक्रम ने मैक्रों की हाल की चुनावी जीत को निराशा में बदल दिया है.
1988 में भी नहीं मिला था पूर्ण बहुमत
प्रधानमंत्री (Prime Minister) एलिजाबेथ बोर्न ने एक बयान में कहा कि ये स्थिति हमारे देश के लिए जोखिम भरी है. हमें चुनौतियों (Challenges) का सामना करना होगा. हम कल से ही बहुमत बनाने में लग जाएंगे. वित्त मंत्री (Finance Minister) ब्रूनो ले मायेर ने परिणामों को लोकतंत्र के लिए झटका करार दिया. इसके साथ ही उन्होंने वादा किया कि वह सभी यूरोपीय समर्थक (European Supporters) लोगों तक पहुंचेंगे. फ्रांस (France) में आगे क्या होगा इसे लेकर कुछ भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि ऐसा 1988 में संसदीय चुनावों (Parliamentary Elections) में हुआ था जब एक नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. हालांकि मैंक्रों (Macron) के पास एक विकल्प ये भी होगा कि बहुमत न मिलने पर वह देश में स्नैप चुनाव (Snap Election) यानी समय से पहले चुनाव करा लें.
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