फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने शुक्रवार को जी-7 देशों से अनुरोध करते हुए कहा कि वे भारत में कोरोना वैक्सीन के निर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल के निर्यात पर लगाई गई रोक को हटा लें. उन्होंने सुझाव दिया कि इससे गरीब देशों में वैक्सीन के उत्पादन में मदद मिलेगी. इससे पहले उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि इस बारे में जी-7 देशों के बीच कोई समझौता होगा.


जी-7 शिखर सम्मेलन से पहले संबोधित करते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति ने जी-7 देशों की तरफ से निर्यात पर लगाई गई रोक को रेखांकित किया, जिसकी वजह से कई अन्य देशों में उत्पादन रुक गया. उन्होंने कहा कि मध्यम आय वाले देशों में भी वैक्सीन का उत्पादन रुक गया, जो गरीब देशों के लिए बहुत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि “मैं इसका एक उदाहरण लेना चाहूंगा जैसा कि भारत.”


मैक्रों ने जोर देते हुए कहा- "भारत खासकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को वैक्सीन उत्पादन के लिए कच्चे माल के निर्यात पर जी-7 इकॉनोमिज की तरफ से रोक लगा दी गई. प्रतिबंधों को जरूर हटाया जाना चाहिए ताकि भारत खुद इसका उत्पादन बढ़ा सके और इसकी सप्लाई अफ्रीकन देशों में कर सके, जो पूरी तरह से इनके उत्पादन पर निर्भर हैं."






विश्व के लिए कोरोना वायरस टीके की प्रतिबद्धता को एकत्रित हुए जी-7 के नेता


इधर, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को कार्बिस बे में जी7 शिखर सम्मेलन में इस समूह के नेताओं का स्वागत किया. कोविड​​​​-19 महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार ये नेता एक स्थान पर एकत्रित हुए हैं. इन नेताओं की चर्चा में कोरोना वायरस का मुद्दे के प्रमुखता से छाये रखने की उम्मीद थी.


साथ ही धनी देशों के इस समूह के नेताओं द्वारा संघर्षरत देशों के लिए टीके की कम से कम एक अरब खुराक साझा करने के लिए प्रतिबद्धता जताये जाने की उम्मीद थी. दक्षिण-पश्चिम ब्रिटेन में जी-7 शिखर सम्मेलन की शुरुआत होने से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 50 करोड़ खुराक और जॉनसन ने कोविड-19 रोधी टीके की 10 करोड़ खुराक साझा करने की प्रतिबद्धता जतायी। इस शिखर सम्मेलन का मुख्य जोर कोविड-19 से उबरने पर होगा.


बाइडन ने कहा, ‘‘हम अपने वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर दुनिया को इस महामारी से बाहर निकालने में मदद करने जा रहे हैं.’’ जी-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान भी शामिल हैं.


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