राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, चीन के राष्ट्रपति, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सहित दुनिया के अलग-अलग देशों के कई शीर्ष नेता शामिल होने वाले हैं. भारत भी उनके स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है. इस बीच खबर आ रही है कि यूक्रेन-रूस से युद्ध के बाद से ही दुनिया के केंद्र में रहे विवादित नेताओं में शुमार व्लादिमीर पुतिन दिल्ली नहीं आएंगे.


उनके इस सम्मेलन में शामिल नहीं होने की खबर पुतिन के ही प्रेस सचिव दिमित्री पेस्कोव ने दी. रूसी मीडिया को दिए अपने बयान में दिमित्री ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति दिल्ली में होने जा रहे जी-20 सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे क्योंकि फिलहाल उनके लिए सबसे जरूरी यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान है.


ब्रिक्स  के शिखर सम्मेलन में भी नहीं पहुंचे थे


पुतिन के लिए इस तरह के बड़े सम्मेलनों में अनुपस्थित रहना कोई नई बात नहीं होगी. वह कुछ दिन पहले ही दक्षिण अफ़्रीका में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में नहीं पहुंचे थे. इससे एक साल पहले बाली में हुए जी-20 सम्मेलन से भी वह नदारद रहे थे. 


क्यों नहीं शामिल हो रहे पुतिन 


1. पुतिन ने सीमित कर लिया है विदेशी दौरा: जानकारों का कहना है कि पुतिन ने यूक्रेन के साथ हुए युद्ध के बाद से अपने विदेशी दौरों को सीमित कर दिया है. हालांकि जून 2022 में ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान में पुतिन की मुलाकात मोदी से भी हुई थी. 


2. यूक्रेन के साथ युद्ध को लेकर सवाल जवाब: जानकारों का मानना तो ये भी है कि भारत में हो रहे सम्मेलन में अगर पुतिन शरीक होते हैं तो उनसे यूक्रेन युद्ध को लेकर सवाल जवाब जरूर किया जाएगा. ऐसे में वह इन चर्चाओं से बचने के लिए भी जी-20 में शामिल नहीं हो रहे हैं. 


3. आईसीसी ने निकाला था पुतिन के खिलाफ वारंट: 17 मार्च 2023 को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय यानी आईसीसी ने रूस के राष्ट्रपति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. ये वॉरंट अवैध रूप से यूक्रेन के बच्चों को रूस लाने के आरोप में जारी किया गया था. ऐसे में वो 123 देश जो आईसीसी के सदस्य हैं, वो पुतिन के खिलाफ कार्रवाई में सहयोग करने के लिए बाध्य हैं. हालांकि भारत आईसीसी का सदस्य नहीं है और जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट में सहयोग करने के लिए बाध्य नहीं है. 


4. सुरक्षा भी है बड़ी वजह: अभी कुछ दिन पहले वेगनर चीफ प्रिगोझिन की प्लान क्रैश में मौत हो गई. जिसे कुछ लोग हत्या का नाम भी दे रहे हैं क्योंकि उसने रूस के राष्ट्रपति के खिलाफ आवाज उठाई थी. कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि रूस के राष्ट्रपति को इस बात की चिंता है कि कहीं वेगनर आर्मी हमला न कर दे. ऐसे में इन सभी परिस्थितियों के संभल जाने तक रूस के राष्ट्रपति कही और जाना सुरक्षित नहीं होगा.


5. जी-20 से जुड़े बैठक में भड़क गया था रूस: द टेलीग्राफ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार 12 अगस्त को कोलकाता में हुई थी. जिसमें भ्रष्टाचार पर चर्चा हुई थी. इस चर्चा के बीच ब्रिटेन के रक्षा विभाग में आंतरिक सुरक्षा मंत्री टॉम टूगेनहॉट ने रूस के क्लेप्टो कार्तिक अभिजात वर्ग की आलोचना करते हुए रूस को ‘नीच और अवैध’ बता दिया था. जिसपर जी-20 की इस बैठक में रूस के प्रतिनिधि ने कहा था कि ब्रिटेन भ्रष्टाचार के लिए दुनिया में बदनाम है, ये कहकर रूसी प्रतिनिधि बाहर चले गए थे.


भारत ने नहीं किया यूक्रेन को आमंत्रित


इस सम्मेलन में यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया है. भारत के इस कदम पर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने गुरुवार को एक बयान भी दिया जिसमें उन्होंने कहा कि वो भारत में जी-20 सम्मेलन में यूक्रेन को नहीं बुलाए जाने को खुश नहीं हैं. ट्रूडो ने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से कहा कि वो सुनिश्चित करेंगे कि इस जी-20 सम्मेलन में यूक्रेन की आवाज सुनी जाए.


पुतिन ने की भारत के पीएम से फोन पर बातचीत


हाल ही में पीएमओ ने बताया कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की और बताया कि रूस का प्रतिनिधित्व रूसी संघ के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे. रूस के फैसले पर सहमति व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत सभी पहलों को रूस के लगातार समर्थन के लिए राष्ट्रपति पुतिन को धन्यवाद दिया. 


क्या है जी-20 सम्मेलन 


जी-20 सरकार और सेंट्रल बैंक के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच है.  इसका नाम G20 इस ग्रुप में शामिल देशों को देखते हुए रखा गया है. G20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग, आतंकवाद, मानव तस्करी, ग्लोबल वार्मिंग जैसे अहम मुद्दों पर राय तय करने का मुख्य मंच है. यह मंच दुनिया की जीडीपी का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% से ज्यादा और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं. दुनिया की दो तिहाई आबादी यहां रहती है.


G20 की स्थापना पहली बार साल 1999 में की गई थी. इसका पहला सम्मेलन दिसंबर 1999 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुआ था. उस वक्त इस ग्रुप का गठन अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने से जुड़ी पॉलिसी पर चर्चा करने के लिए किया गया था.