G20 Summit: भारत में आज से जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हो रही है. सुबह 9.30 बजे से भारत मंडपम में विदेशी नेता इकट्ठा होने लगेंगे. 2 दिनों तक चलने वाले इस सम्मलेन पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि सम्मेलन में दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले मुल्क शामिल हो रहे हैं. वहीं, जी20 सम्मेलन में भारत ने चीन को पटखनी देने की तैयारी कर ली है. भारत ने एक ऐसा प्लान बनाया है, जो उसे विदेश नीति के मोर्च पर चीन से एक कदम आगे रखेगा. 


दरअसल, भारत चाहता है कि जी20 में अफ्रीकन यूनियन को भी शामिल किया जाए. इसके लिए भारत लंबे समय से पुरजोर कोशिश करता रहा है. उसकी कोशिशें अब नतीजे में बदलने वाली हैं, क्योंकि अफ्रीकन यूनियन का जी20 में शामिल होने का रास्ता साफ होने वाला है. भारत 'ग्लोबल साउथ' का नेतृत्व करना चाहता है. चीन भी यही इरादा रखता है. यही वजह है कि दोनों देश अफ्रीकी देशों से अपने संबंध मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं. हालांकि, अभी के घटनाक्रम दिखा रहे हैं कि भारत ने बाजी मार ली है. 


अफ्रीकन यूनियन जी20 में होगा शामिल


अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीकन यूनियन (AU) जी20 में शामिल होने वाला है. जी20 सम्मेलन से पहले घोषणापत्र पर काम कर रहे सदस्य देशों के शेरपाओं की बैठक में अफ्रीकन यूनियन को संगठन में शामिल करने पर चर्चा हुई है. वे इसे सदस्यता देने के लिए सहमत हो गए हैं. माना जा रहा है कि शनिवार या रविवार को जी20 की बैठक में इसका आधिकारिक तौर पर ऐलान कर दिया जाएगा. अफ्रीकन यूनियन के जी20 में शामिल होते ही भारत का 'ग्लोबल साउथ' का नेता बनना तय हो जाएगा. 


क्या है अफ्रीकन यूनियन? 


अफ्रीकन यूनियन अफ्रीका के 55 देशों का एक संगठन है. इसे आधिकारिक तौर पर 2002 में लॉन्च किया गया था. ये कुछ हद तक यूरोपियन यूनियन की तरह ही है. इसका मकसद अफ्रीकी देशों और लोगों के बीच एकजुटता बढ़ाना है. अफ्रीकन यूनियन पूरे महाद्वीप में शांति, सुरक्षा और स्थिरता फैलाने के लिए भी काम करता है. पूरे महाद्वीप के आर्थिक विकास के लिए भी इस संगठन के नेता आपस में मिलकर काम करते हैं. एक लाइन में कहें तो इसका मकसद सुरक्षा और स्थिरता स्थापित कर अफ्रीका महाद्वीप को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है. 


क्या है 'ग्लोबल साउथ', जिसका नेता बनना चाहते हैं भारत-चीन? 


संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन, एशिया (इजरायल, जापान और दक्षिण कोरिया के बिना) और ओशिनिया (ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बिना) के देशों को 'ग्लोबल साउथ' के तौर पर देखा जाता है. इस क्षेत्र के प्रमुख देश भारत, चीन और ब्राजील हैं. यही वजह है कि चीन और भारत के बीच 'ग्लोबल साउथ' का नेता बनने की होड़ लगी हुई है. 'ग्लोबल साउथ' का नेतृत्व करने का मतलब है कि दुनिया के एक बड़े हिस्से पर प्रभाव होना. भारत ने बेहद ही कुशलता से 'ग्लोबल साउथ' का नेता बनने की ओर कदम बढ़ाए हैं. 


अपने प्लान से कैसे चीन को मात दे रहा भारत? 


अफ्रीका महाद्वीप में भारत की मौजूदगी 1950 के दशक से ही रही है. भारत ने पिछले 70 सालों से मिस्र, दक्षिण अफ्रीका, नाइजारिया, कीनिया जैसे देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने का काम किया है. नरेंद्र मोदी ने भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार अफ्रीकी देशों का दौरा किया है. दूसरी ओर, चीन का मकसद अपने निवेश के जरिए अफ्रीकी देशों का फायदा उठाना है. बीजिंग का कहना है कि उसने अफ्रीकी देशों में निवेश किया है, इसलिए वह उनका दोस्त है. 


हालांकि, भारत इस बात को भली-भांति जानता है कि अगर उसे अफ्रीका में चीन को पछाड़ना है, तो एक बड़े प्लान के साथ आना होगा. यही वजह है कि वह जी20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने की वकालत करता रहा है. अब दिल्ली में हो रहे जी20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने का ऐलान होने वाला है. ऐसे में भारत इस बात का क्रेडिट लेगा कि उसकी मेजबानी में अफ्रीकन यूनियन को जी20 की सदस्यता मिली है. इस तरह उसने अपने इस प्लान से चीन को मात दे डाली है. 


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