G20 Summit: इंडोनेशिया में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन का समापन हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वापस लौट चुके हैं. इस सम्मेलन के दौरान भारतीय पीएम ने कई देशों के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की और तमाम विषयों को लेकर चर्चा हुई. कोरोनाकाल के बाद ये जी-20 की पहली बैठक थी. अब अगले जी-20 समिट की कमान भारत के हाथों में है. यानी 2023 में भारत जी-20 की मेजबानी करेगा. इस पूरे सम्मेलन में क्या कुछ खास रहा आइए जानते हैं. 


रूस-यूक्रेन युद्ध पर पीएम मोदी के बयान का असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में आयोजित हुए एससीओ समिट में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में जो मैसेज दिया था, उसकी गूंज जी20 शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में सुनाई दी. घोषणापत्र में नेताओं ने यूक्रेन युद्ध को तत्काल खत्म करने का आह्वान करते हुए कहा कि “आज का युग, युद्ध का नहीं होना चाहिए.” दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन के दौरान जारी एक बयान में कहा गया कि यूक्रेन पर रूस के हमले और दुनिया पर इसके व्यापक प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की गई. इसमें आगे कहा गया कि  “संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान, संकटों को दूर करने के प्रयास, साथ ही कूटनीति और संवाद जरूरी हैं. आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए.”


बाइडेन और जिनपिंग की मुलाकात
इस जी-20 सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने सभी को हैरान कर दिया. दोनों ही नेताओं के बीच एक लंबी मुलाकात हुई और तमाम मुद्दों पर बातचीत भी हुई. इस मुलाकात को दुनियाभर के देश अमेरिका-चीन के नए रिश्तों के तौर पर देख रहे हैं. बता दें कि पिछले लंबे वक्त से अमेरिका और चीन के बीच तनातनी चल रही है. नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद दोनों ही देशों ने एक दूसरे को धमकियां तक दे डाली थीं. इस बातचीत के दौरान ताइवान मुद्दे पर भी चर्चा हुई और दोनों ही देशों ने शांति बनाए रखने को लेकर बात आगे बढ़ाई. मुलाकात के बाद बाइडेन और जिनपिंग का नरम रुख देखने को मिला. 


पोलैंड में मिसाइल अटैक
रूस को भले ही जी-20 जैसे तमाम सम्मेलनों से सख्त मैसेज दिए जा रहे हों, लेकिन इसके बावजूद पुतिन रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. रूस लगातार यूक्रेन और उसकी सीमाओं पर मिसाइल अटैक कर रहा है. जी-20 सम्मेलन खत्म होने के दौरान एक बड़ी खबर सामने आई, जिसमें बताया गया कि पोलैंड में यूक्रेन की सीमा से लगे गांव प्रजेवोडो में एक मिसाइल आकर गिरी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. रूस की तरफ से बड़े हमले की यह घटना घटी जिसमें करीब 100 मिसाइलों को यूक्रेन में कई जगहों को निशाना बनाकर दागा गया. 


बता दें कि पोलैंड NATO का एक सदस्य देश है, जिसके बाद अब एक बार फिर विश्वयुद्ध की आहट सुनाई देने लगी है. अगर नाटो के सदस्य देश इसमें शामिल होते हैं तो रूस और यूरोप के पश्चिमी देशों के बीच अस्तित्व की होड़ शुरू हो सकती है. किसी भी नाटो सदस्य देश पर हमला होता है तो इसे सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाता है. 


पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात
भारत और चीन के बीच भी पिछले लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है. जिसके चलते दोनों ही देशों के रिश्तों में कड़वाहट है. एलएसी पर चीनी सेना की घुसपैठ और निर्माण के चलते ये रिश्ते अब तक नहीं सुधर पाए हैं. इसी बीच जी-20 समिट में पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो की तरफ से आयोजित एक डिनर के दौरान पीएम मोदी और जिनपिंग मिले और दोनों ने एक दूसरे से हाथ भी मिलाया. 


जी20 शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं की संभावित द्विपक्षीय बैठक को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. डिनर पर दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे का अभिवादन किया. गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच जून 2020 में हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. उसके बाद दोनों नेताओं की आमने-सामने की कोई बैठक नहीं हुई है. भारत लगातार कहता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी सितंबर में समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में आमने-सामने आए थे.


भारत को मिली जी-20 की अध्यक्षता
इस पूरे जी-20 सम्मेलन में भारत के लिए सबसे खास बात ये रही कि अगले साल यानी 2023 में भारत इस समिट की मेजबानी करने जा रहा है. इंडोनेशिया ने बाली शिखर सम्मेलन के समापन के साथ ही आने वाले साल के लिए भारत को जी20 की अध्यक्षता सौंपी और प्रधानमंत्री मोदी ने इसे हर भारतीय नागरिक के लिए गर्व की बात बताया. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने एक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी को जी20 की अध्यक्षता सौंपी. भारत एक दिसंबर से औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा. 


जी20 बाली के नेताओं के घोषणापत्र के अनुसार, ‘‘हम 2023 में भारत में, 2024 में ब्राजील में और 2025 में दक्षिण अफ्रीका में दोबारा बैठक करने जा रहे हैं.’’ जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं.


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