Xi Jinping Met Joe Biden: इंडोनेशिया के बाली (Bali) में जी-20 समिट से पहले दो ग्लोबल लीडर्स जो बाइडेन और शी जिनपिंग की मुलाकात हुई, जिसके अंतरराष्ट्रीय राजनीति (International Politics) में कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं. दोनों ही नेता, ताइवान के मुद्दे (Taiwan Issue) पर सहमत नहीं हैं और अपनी-अपनी तरफ से आपत्ति जता चुके हैं. खास बात यह है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी बाइडेन और जिनपिंग के विचार एक दूसरे से सहमति नहीं दिखते हैं.


दोनों नेताओं की मुलाकात को लेकर चीनी मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, शी ने बाइडेन से कहा, "तथाकथित 'लोकतंत्र बनाम अधिनायकवाद' कथा आज की दुनिया की परिभाषित विशेषता नहीं है, यह अभी भी समय की प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है." वहीं शी जिनपिंग ने कहा कि स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकार मानवता की सामान्य खोज है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की निरंतर खोज भी है. संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी शैली का लोकतंत्र है... और चीन में चीनी शैली का लोकतंत्र है."


चीन की व्यवस्था पर क्यों उठते हैं सवाल?


बता दें कि चीनी नेता एक-दलीय प्रणाली की अध्यक्षता करते हैं जिसे कई मानवाधिकार समूह, पश्चिमी नेता और शिक्षाविद तानाशाही कहते हैं, क्योंकि इसमें एक स्वतंत्र न्यायपालिका, स्वतंत्र मीडिया या राष्ट्रीय कार्यालय के लिए सार्वभौमिक मताधिकार का अभाव है. शी और उनकी पार्टी के आलोचकों को ऑनलाइन सेंसर किया जाता है और जोखिम को ऑफलाइन रखा जाता है.


शी जिनपिंग को नहीं बुलाया था...


पिछले साल, बाइडेन ने इस विषय पर एक आभासी शिखर सम्मेलन के लिए 100 से अधिक विश्व नेताओं को इकट्ठा किया, उनसे पूछा, "क्या हम अधिकारों और लोकतंत्र की स्लाइड को ऐसे ही पीछे जाने देंगे? या हम सब मिलकर एक विजन... और एक बार फिर मानव प्रगति और मानव स्वतंत्रता की यात्रा को आगे बढ़ाने का साहस करेंगे?"


उल्लेखनीय है कि चीन के राष्ट्रपति शी को इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था और उस समय चीनी अधिकारियों ने इस घटना को "विभाजनकारी" कहा था. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस ने 2021 के अंत में कहा कि खतरे में स्थापित लोकतंत्रों की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. 


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