Gene Editing Technology: वर्तमान में जीन एडिटिंग की काफी चर्चा हो रही है. हालाकि इसके बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी है. जीन एडिटिंग एक ऐसी तकनीक है जिससे प्रकृती द्वारा बनाई गई रचनाओं में बदलाव किया जा रहा है. इस तकनीक के जरिए डीएनए में बदलाव किया जाता है, ताकि कुछ खास चीजें हटाई या बढ़ाई जा सकें.
दुनिया में कई जीवों पर प्रयोग कर इससे नई नस्लें तैयार की जा रही हैं, यह नस्लें जरूरत पड़ने पर काम में ली जाएंगी. जीन एडिटिंग तकनीक न सिर्फ जीवों पर बल्कि पौधों और सब्जियों पर भी प्रयोग कर इनकी नई किस्में बनाई जा रही हैं.
जीन एडिटिंग को लेकर चिंता
इन सबके बीच जीन एडिटिंग को लेकर चिंता भी जताई जा रही है. दरअसल, पिछले 2 दशकों में कई देश एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि वो अपने सैनिकों के साथ भी जीन एडिटिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. अमेरिका की इंटेलिजेंस विभाग 2 साल पहले कह चुका है कि चीन अपने सैनिकों पर जीन एडिटिंग कर रहा है, वहीं इस बात को ब्रिटेन भी रिपीट कर चुका है. ब्रिटेन ने कहा था कि चीन सुपर पावर बनने के लिए अपने सैनिकों की बायोलॉजी बदल रहा है.
खुफिया तरीके से काम कर रहा है
इस कड़ी में चीन के बारे में खबर है कि वह सबसे खुफिया तरीके से काम कर रहा है जिससे एकदम से दुनिया को डराया जा सके. वॉल स्ट्रीट जर्नल में तत्कालीन इंटेलिजेंस चीफ जॉन रेटक्लिफ ने बताया था कि चीन इस तकनीक को सबसे ज्यादा प्रयोग कर रहा है. इसमें डीएनए के कुछ हिस्सों को एडिट करके उसकी जगह प्रकृतिक डीएनए को काम करने दिया जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपने सैनिकों के शरीर में जीन एडिटिंग कर रहा है जिससे सैनिक नहीं जानते हैं कि उनके शरीर में क्या बदलाव हो जाता है. शरीर में बदलाव होने के बाद चीनी सैनिक सामान्य इंसान से कब इमोशनलेस रोबोट में बदल जाएंगे, उन्हें भी नहीं पता रहता. रिपोर्ट यह भी बताती है कि ऐसे सैनिक लड़ाई के दौरान से लोकर आम जिंदगी तक में बेरहम हो जाते हैं. अबतक फल, सब्जियों और जानवरों की स्वस्थ नस्लें बनाने के लिए जीन एडिटिंग का प्रयोग किया जाता रहा है. मगर अब इंसानों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है.