China: चीन को अपना नया रक्षामंत्री ली शांगफू के रूप में मिल गया है. एक समय अमेरिका ने शांगफू पर बैन लगा दिया था. वहीं अब आशंकाएं जताई जा रही हैं कि अब चीन और अमेरिका के रिश्तों में कड़वाहट पैदा हो सकती है. शांगफू की उम्र 65 साल है. बताया जा रहा है कि वेई फेंघ की जगह पर जल्द ही शांगफू अपना पद संभालेंगे.


गौरतलब है कि बीते साल के अक्टूबर महीने में ही फेंघ ने इस्तीफे का ऐलान किया था. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी नियुक्ति बीजिंग में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में शामिल नामों की लिस्ट का हिस्सा थी, जिसे रविवार को जारी किया गया था.


शांगफू का करियर


चीन में स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी से ली शांगफू ने ग्रेजुएशन किया हुआ है. इसके साथ उन्होंने जिचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर में भी काम किया है. शांगफू के समय में ही चीन ने अपनी पहली एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण भी किया था और स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स ब्रांच के पहले सैनिक भी शांगफू बने थे. स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स ब्रांच की स्थापना साल 2015 में हुई थी. इस ब्रांच का उद्देश्य स्पेस, साइबर टेक्निक, राजनीतिक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना और चीन का विकास करना था. 


ऐसे शुरू हुआ था अमेरिका से विवाद 


साल 2018 से शांगफू अमेरिका की आंखों में किरकिरी बने हुए थे. हुआ यूं कि चीन के लिए रूसी हथियार विक्रेता रोसोबोरोनेक्सपोर्ट से Su-35 फाइटर प्लेन एवं S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने में शांगफू की अहम भूमिका थी. उस वक्त शांगफू शीर्ष सैन्य आयोग में उपकरण विकास विभाग के निदेशक के रूप में चीनी रक्षा प्रौद्योगिकी की देखरेख कर रहे थे.


शांगफू के ऊपर अमेरिका के विदेश विभाग ने उनके विभाग और रूसी संस्थाओं पर अनेक बैन लगा दिए थे. इसके अंतर्गत अमेरिकी क्षेत्र में कोई भी लेन-देन का हिस्सा शांगफू नहीं बन सकते थे. उन पर वित्तीय सिस्टम में लेन-देन को लेकर प्रॉपर बैन लगा दिया गया था. इतना ही नहीं, अमेरिका ने शांगफू, उनकी सारी संपत्ति और वीजा पर भी बैन लगाया था. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि शांगफू की जॉइनिंग, चीन एयरोस्पेस रक्षा प्रौद्योगिकी में अच्छी प्रगति केई वजह बन सकती है.


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