यूरोपीय देश जर्मनी कोरोना के खिलाफ मिक्स कोविड -19 वैक्सीन लगवाने की इजाजत देनेवाला दुनिया का पहला मुल्क बन गया है. सरकार ने सलाह दी है कि जिन लोगों ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का पहला डोज ले लिया है, अब या तो फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्ना की वैक्सीन का उम्र के बावजूद दूसरा डोज ले सकते हैं. गौरतलब है कि दुनिया के कई मुल्कों में एक ही तरह की वैक्सीन के पहले और दूसरे डोज टीकाकरण अभियान में शामिल हैं.


जर्मनी ने लोगों को दी मिक्स वैक्सीनेशन की इजाजत


ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस में सरकार लोगों को इच्छा के अनुरूप कुछ समय बाद दूसरी वैक्सीन इस्तेमाल करने की इजाजत दे चुकी है. लेकिन जर्मनी अपने नागरिकों को आधिकारिक रूप से मिक्स वैक्सीनेशन की इजाजत देनेवाला दुनिया का पहला देश हो गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का फैसला टीकाकरण पर स्थायी समिति की सिफारिश के एक दिन बाद आया है. समिति ने सिफारिश की कि एस्ट्राजेनेका के पहले डोज के चार सप्ताह बाद दूसरा डोज लगाया जाना चाहिए.


एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के बाद एमआरएन के डोज


जर्मनी में टीकाकरण पर स्थायी समिति STIKO ने कहा कि 'वर्तमान रिसर्च के नतीजे बताते हैं' कि मिक्स डोज के टीकाकरण के बाद पैदा हुआ इम्यून रिस्पॉन्स 'स्पष्ट रूप से श्रेष्ठ है.' यूरोपीय मेडिसीन एजेंसी की तरफ से वर्तमान में स्वीकृत फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की एमआरएन वैक्सीन हैं. जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने दो अलग-अलग कंपनियों के डोज इस्तेमाल कर मिक्स वैक्सीनेशन की दिशा में कदम बढ़ाया था. सीएनएन की खबर के मुताबिक, जून में उन्होंने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का पहला डोज लगवाने के बाद अपने दूसरे डोज के तौर पर मॉडर्ना की वैक्सीन इस्तेमाल की. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की बनाई कोविड-19 वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से जाना जा रहा है और उसे सीरम इंस्टीट्यूफ ऑफ इंडिया बना रही है.  


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