नई दिल्ली: इन दिनों एक ऐसी घटना हुई है जिससे वैज्ञानिक परेशान हैं. दरअसल सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट यानी पराबैंगनी किरणों को सोखने वाली ओजोन गैस की मात्रा ओजोन लेयर में कम हो रही है. आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिकों ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है.


उन्होंने बताया है कि शीत ऋतु में इस बार अत्यधिक ठंड पड़ने और हैलोजन गैसों के उत्सर्जन के कारण ओजोन लेयर में विशाल होल बन गया है. इस होल का दायरा तकरीबन 10 लाख किमी बताया जा रहा है.


क्यों हुआ ओजोन लेयर में छेद


आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वायुमंडलीय प्रभाग के अध्यक्ष डॉ. मनीष नाजा बताया कि आखिर क्यों ओजोन लेयर में छेद हुआ है. उन्होंने बताया कि ओजोन में यह होल मध्य मार्च में बना है. इसके पीछे मुख्यत: दो कारण हैं. पहला, इस बार भयंकर ठंड पड़ी, जिससे तापमान माइनस 80 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया था, जिससे ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाली खतरनाक हैलोजन गैस उच्च आसमान के बादलों में फंसकर रह गईं. मगर जब तापमान बढ़ता है तो बादलों का बिखराव शुरू हो जाता है, जिससे गैसें बाहर निकलने लगती हैं. इन गैसों के उत्सर्जन से ओजोन लेयर में छेद होने लगता है.


हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा इसके छिद्र की भरपाई होगी.