वॉशिंगटन: जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से आम से लेकर खास लोगों तक हर कोई गुस्से में है. अमेरिका में एक बार फिर काले और गोरे के बीच मतभेदों की बहस तेज हो गई है. हर कोई खुलकर इस मुद्दें पर बोलने लगा है. हर कोई खुद के साथ श्वेत-अश्वेत को लेकर हुए भेदभाव का जिक्र कर अमेरिका में हो रहे प्रदर्शन का समर्थन कर रहा है. नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (एनबीए) के महान खिलाड़ी माइकल जॉर्डन ने अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर दुख और गहरी नाराजगी व्यक्त की है.
जॉर्डन ने ट्विटर पर बयान में कहा, "मैं बहुत निराश और गुस्से में हूं. मैं हर किसी के दर्द, आक्रोश और निराशा को समझ और महसूस करत सकता हूं. मैं उन लोगों के साथ खड़ा हूं जो हमारे देश में नस्ल के आधार पर लोगों के प्रति जातिवाद और हिंसा फैला रहे है." उन्होंने कहा, "मेरे पास जवाब नहीं है, लेकिन हमारी सामूहिक आवाजें ताकत और दूसरों द्वारा विभाजित होने की अक्षमता दिखाती हैं. हमें एक-दूसरे की बात सुननी चाहिए, करुणा और सहानुभूति दिखानी चाहिए. हमें अन्याय के खिलाफ आवाज और जवाबदेही की मांग जारी रखने की जरूरत है. इस समय हम सब को एकजुट होकर आवाज उठाने की जरूरत है ताकि सभी को न्याय मिल सके."
वहीं युवा महिला टेनिस खिलाड़ी अमेरिका की कोको गॉफ ने अश्वेत पुरुष की मौत के बाद अपने देश में अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों की मौत के विरोध में हो रहे प्रदर्शन का समर्थन किया है. गॉफ ने अपने ट्विटर पर अपना एक टिक-टॉक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने कहा, "मैं हमेशा इस प्लेटफॉर्म को विश्व को बेहतर बनाने के लिए उपयोग करूंगी. इसलिए मैं अपनी आवाज को नस्लभेद के खिलाफ उठा रही हूं. मैं अपनी आवाज उठा रही हूं क्या आप उठाएंगे."
क्रिस गेल ने कहा- नस्लभेद सिर्फ फुटबाल में नहीं है, क्रिकेट में भी है
वेस्टइंडीज के क्रिकेट खिलाड़ी क्रिस गेल ने कहा कि नस्लभेद सिर्फ फुटबाल में नहीं है बल्कि क्रिकेट में भी है. गेल ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा, "अश्वेत लोगों की जिंदगी भी दूसरों की जिंदगी की तरह मयाने रखती है. अश्वेत लोग मायने रखते हैं (ब्लैक लाइव्स मैटर). नस्लभेदी लोग भाड़ में जाएं. मैंने पूरा विश्व घूमा है और नस्लभेदी बातें सुनी हैं क्योंकि मैं अश्वेत हूं. विश्वास मानिए.. यह फेहरिस्त बढ़ती चली जाएगी. नस्लभेद सिर्फ फुटबाल में नहीं है.. यह क्रिकेट में भी है. यहां तक कि टीमों के अंदर भी एक अश्वेत होने के तौर पर मुझे अहसास हुआ है."
मैनचेस्टर युनाइटेड और इंग्लैंड के फुटबाल खिलाड़ी मार्क्स रशफोर्ड ने भी फ्लॉयड की मौत के बाद कहा था कि यह समाज पहले से ज्यादा बंटा हुआ लगता है.
अमेरिका में कैसे हुई जॉर्ज फ्लॉयड की मौत
26 मई को अमेरिका के मिनेपोलिस शहर में जॉर्ज फ्लॉयड नाम के शख्स को पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था. एक पुलिस अफसर ने सड़क पर अपने घुटने से फ्लॉयड की गर्दन को करीब आठ मिनट तक दबाए रखा. जॉर्ज लगातार पुलिस अफसर से घुटना हटाने की गुहार लगाते रहे लेकिन पुलिस ऑफिसर ने दया नहीं दिखाई. धीरे-धीरे फ्लॉयड की हरकत बंद हो गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई.
पुलिस हिरासत में मरने वाले जॉर्ज फ़्लॉयड का वीडियो वायरल हो गया. इस वायरल वीडियो में दिख रहा है कि पुलिसकर्मी डेरेक शैविन ने घुटना टेककर उनकी गर्दन दबाए रखी. जॉर्ज उस पुलिसकर्मी से लगातार कहते रहे कि 'उन्हें सांस नहीं आ रही है.' लेकिन डेरेक ने उन्हें नहीं छोड़ा. वीडियो में दिखाई दे रहा था कि जॉर्ज ने गिरफ्तारी के समय किसी तरह का विरोध नहीं किया था.
कैसे प्रदर्शनों ने ले लिया हिंसक रूप
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद लोग आक्रोशित हो गए और पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. भड़की हिंसा के दौरान लोगों ने अमेरिका में कई शहरों में दुकानों और शोरूम्स में आग लगा दी और जमकर लूटपाट भी की गई. लोग कोरोना संकटकाल में वैसे ही आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं और ऐसे में इस हिंसा से स्थिति और खराब हो गई है. अमेरिका में हिंसाजनक स्थिति के चलते दो शहरों में इमरजेंसी लगाई गई है और 12 से ज्यादा प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लगाया गया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जॉर्ज फ्लॉयड की मृत्यु के बाद हिंसक प्रदर्शनों के बीच माना कि जॉर्ज फ्लॉयड की मौत एक गंभीर त्रासदी थी. रविवार देर रात भारी संख्या में प्रदर्शनकारी राजधानी वॉशिंगटन में व्हाइट हाउस के बाहर इक्ट्ठा हो गए पत्थरबाजी की. इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप को सुरक्षित बंकर में ले जाया गया. हालांकि अब राष्ट्रपति ट्रंप बंकर में नहीं हैं.
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