Deep Sea Mining: 'ड्रैगन' का दबदबा खत्म करेगा नॉर्वे! यूं देगा समुद्री खनन बाजार में चीन को हजारों करोड़ का झटका
Marine Mining: नॉर्वे समुद्री खनन बाजार में दिलचस्पी ले रहा है. उसकी संसद में समुद्री खनन से संबंधित एक विधेयक पर चर्चा होनी है. विधेयक पारित होता है तो नॉर्वे के अगले कदम से चीन को झटका लग सकता है.
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Norway Sea Mining: नॉर्वे समंदर की गहराई से कमर्शियल (वाणिज्यिक) रूप में धातुओं और खनिज को निकालने वाला पहला देश बन सकता है. इसके लिए वहां की संसद को वैश्विक स्थगन के अंतरराष्ट्रीय आह्वान के बावजूद समुद्र तल से खनन संबंधी सरकार के विधेयक को मंजूरी देनी होगी.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्वे की संसद सरकार के विधेयक पर चर्चा करने के लिए तैयार है. यह विधेयक पारित होने पर खनन के लिए यूनाइटेड किंगडम जितने बड़े एक अपतटीय (खुला समुद्र) क्षेत्र के खुलने की मंजूरी मिलेगी. नॉर्वे जिस ग्लोबल मैरीन माइनिंग मार्केट (समुद्री खनन बाजार) में दिलचस्पी ले रहा है, आखिर वह कितने हजार करोड़ का है और चीन को वह कितना बड़ा झटका दे सकता है, आइये जानते हैं.
कितने हजार करोड़ का है ग्लोबल मैरीन माइनिंग मार्केट?
ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में वैश्विक समुद्री खनन बाजार 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (आज के 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा) का था. इसके 2022 से 2031 तक 34.43 फीसदी की सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) से आगे बढ़ने का अनुमान है. 2031 के अंत तक वैश्विक समुद्री खनन बाजार के 31.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (आज के 2 लाख 61 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा) तक पहुंचने की उम्मीद है.
चीन को कितना बड़ा झटका देगा नॉर्वे?
समुद्र तल से खनन संबंधी विधेयक पारित होने पर नॉर्वे चीन को बड़ा झटका दे सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्वे की सरकार का कहना है कि समुद्र में खनन से यूरोप की कई मामलों में चीन पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है. अभी यूरोप को इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी, पवन टरबाइन और सौर पैनल बनाने के लिए जरूरी अहम खनिजों की आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ता है.
यह नए समुद्री उद्योगों को विकसित करने की नॉर्वे की रणनीति का भी एक हिस्सा है क्योंकि इसके शीर्ष निर्यात जैसे कि अपतटीय तेल और गैस में धीरे-धीरे गिरावट आने की आशंका है.
क्या कुछ है समंदर की गहराई में?
ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्री खनन समंदर और इसके पानी में 200 मीटर से नीचे के क्षेत्र से खनिज भंडार प्राप्त करने की प्रक्रिया है. गहरे समुद्र में सोना, चांदी, तांबा, मैंगनीज, कोबाल्ट और जस्ता समेत कई धातुएं और खनिज उपलब्ध हैं, जिनका एक्सट्रैक्शन (किसी चीज को निकालना) किया जा सकता है.
गहरे समुद्र में खनिज भंडार की खोज के लिए 29 कॉन्ट्रैक्ट हो चुके हैं जारी
इंटनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे इलाकों में गतिविधियों को नियंत्रित करती है, उसने समंदर की गहराई में खनिज भंडार की खोज के लिए 29 अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) जारी किए हैं. अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल का 1.5 मिलियन (15 लाख) वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र प्रशांत और भारतीय महासागरों और मध्य-अटलांटिक पर्वतमाला में खनिज की खोज के लिए अलग रखा गया है.
क्यों है समुद्री खनन की जरूरत?
तांबा, निकल, एल्यूमीनियम, मैंगनीज, जस्ता, लिथियम और कोबाल्ट जैसी धातुओं के स्थलीय भंडार की कमी के कारण और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग में इजाफे के चलते धातुओं के नए स्रोतों की जरूरत बढ़ रही है. वहीं, पानी के नीचे खनन, समुद्री फॉस्फेट खनन और समुद्री रेत खनन के फायदे और नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ने से बाजार में आकर्षक अवसर पैदा हो रहे हैं.
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