Global Warming in World: आज के समय में ग्लोबल वॉर्मिंग पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है. इसका असर पूरी धरती पर पड़ रहा है. मौसम में बदलाव देखा जा रहा है, ग्लेशियर्स पिघल रहे हैं. धरती पर जहां-तहां ग्लेशियर्स हैं, वहां वह पिघलते दिख रहे हैं. कुछ यही हाल है डेनमार्क में मौजूद ग्लेशियर्स का.


डेनमार्क में ग्रीनलैंड में वर्फीले समुद्र तट तेजी से बदलते जा रहे हैं. सीएनएन ने अपनी एक रिपोर्ट में इसी बात का खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु वैज्ञानिक लॉरा लारोका ने 2019 में जब डेनमार्क का दौरा किया, तो ग्रीनलैंड के बर्फीले समुद्र तट की हजारों पुरानी हवाई तस्वीरों को टटोला जो करीब 15 साल पहले कोपेनहेगन के बाहर खोजी गई थीं. इसके बाद उन्हें पता चला कि गर्म होती जलवायु के बीच यहां के हिम नदियां कैसे बदलती जा रहीं हैं.


दोगुनी तेजी से घट रहे ग्लेशियर


1930 के दशक की हजारों संग्रहीत फोटो को डिजिटल बनाने के बाद, लारोका की टीम ने उन्हें आज ग्रीनलैंड की उपग्रह छवियों के साथ जोड़ा ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसका जमा हुए परिदृश्य कितना बदल गया है. तुलना में ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की स्थिति देखी गई. जो पिछले दो दशकों में और तेज हो गई है. नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में इस सप्ताह प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि 21वीं सदी के दौरान ग्लेशियरों के घटने की दर 20वीं सदी की तुलना में दोगुनी तेज रही है.


ग्लेशियर्स में बदलाव देख वैज्ञानिक भी हुए हैरान


इस स्टडी के मुख्य लेखक और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ ओशन फ्यूचर्स में सहायक प्रोफेसर लारोका का कहना है कि, "यह काम बहुत समय लेने वाला था, और इसमें बहुत सारे लोगों, कई घंटों का शारीरिक श्रम लगा. पर हमने ग्लेशियर्स में जो बदलाव देखे वो आश्चर्यजनक हैं. यह वास्तव में उस तेज गति को उजागर करता है जिस गति से आर्कटिक गर्म हो रहा है और बदल रहा है." 2022 के एक अध्ययन से पता चला है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से पिछले कई दशकों में आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में चार गुना तेजी से गर्म हुआ है. स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों को पता चला कि पहली बार, 2021 की गर्मियों के दौरान ग्रीनलैंड के शिखर पर समुद्र तल से लगभग दो मील ऊपर  बारिश हुई.


इन जगहों पर भी पिघल रहे हैं ग्लेशियर्स


1. भारत में भी स्थिति चिंताजनक


बात अगर भारत की करें तो यहां भी कई जगह ग्लेशियर्स हैं जो अब तेजी से पिघल रहे हैं. भारत में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के कई ज़िलों में ग्लेशियर हैं और हर जगह यही स्थिति है. हर जगह बढ़ती गर्मी का नजारा दिखता है.  


2. हिमालय में भी पिघल रहे


इस साल जून में इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) ने एक डराने वाली रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि हिमालय के ग्लेशियर पिछले दस साल की तुलना में 65 फीसदी ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं. साल 2100 तक 75 से 80% ग्लेशियर पिघल जाएंगे. ICIMOD में भारत, नेपाल, चीन, म्यांमार, पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के सदस्य आते हैं.


3. हिंदकुश हिमालय (HKH) इलाका


3500 किलोमीटर का यह हिस्सा अफगानिस्तान से लेकर, बांग्लादेशन, भूटान, चीन, भारत, म्यांमार, नेपाल और पाकिस्तान से होकर गुजरता है. यहां के ग्लेशियरों से निकलने वाली नदियों से 24 करोड़ लोगों को पानी मिलता है. ये लोग पहाड़ी इलाकों में रहते हैं. पर सबसे हैरानी की बात ये है कि ये तेजी से पिघल रहे हैं.


4. अमेरिका में भी हालात खराब


ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तेजी से पिघलते ग्लेशियर्स के नुकसान से अमेरिका भी अछूता नहीं है. वहां अलास्का में मौजूद बैरी आर्म ग्लेशियर (Berry Arm Glacier) तेजी से पिघल रहा है और कभी भी गिर सकता है. बड़ी बात ये है कि यह ग्लेशियर टूटकर सीधे समुद्र में गिरेगा और इससे सुनामी आ सकती है.


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