नई दिल्ली: चीन एक ऐसा देश है जिसने पूरी दुनिया के लिए अपने दरवाजे बंद करके रखे हैं लेकिन अपनी विस्तारवादी नीति से धीरे धीरे अपने पैर विश्व के नक्शे पर फैलाने की कोशिश करता रहता है. चीन ने भारत के खिलाफ कुछ इसी तरह के कदम उठाने की कोशिश की लेकिन भारत ने कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तर पर ही चीन को जोरदार सबक सिखाया.


चीन अपनी विस्तारवादी नीति के लिए साम, दम, दंड भेद का तरीका अपनाता है. चीन अपनी रणनीति के तहत छोटी अर्थव्यवस्था वाले नेताओं देशों के नेताओं को अपने जाल में फंसाकर रखना चाहते है. इसका ताजा उदाहरण भारत के पड़ोसी देश के नेपाल के तौर पर देखने को मिल रहा है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का चीन के प्रति झुकाव अब जग जाहिर हो चुका है. इसके लिए चीन से नेपाल के प्रधानमंत्री को आर्थिक सहायता भी दी जा रही है.


ग्बोलब वॉच एनालिसिस की रिपोर्ट में इसे लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ समय में नेपाल के प्रधानमंत्री की संपत्तियों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही रिपोर्ट में उनके विदेश में भी कई संपत्तियां होने की बात कही गई है.


ग्बोलब वॉच एनालिसिस की रिपोर्ट केपी शर्मा ओली का स्विजरलैंड के जेनेवा में मिराबॉड बैंक में एक खाता है. इस खाते में हाल में करीब 5.5 मिलियन डॉलर (लगभग 48 करोड़ रुपये) जमा कराए गए हैं. इस रकम से ओली को सालाना 3.5 करोड़ रुपये का फायदा होता है.


इसके साथ ही ग्बोलब वॉच एनालिसिस की रिपोर्ट में ओली के अलग निवेशों के बारे में भी जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2015-16 के दौरान ओली ने चीन के एक राजदूत के जरिए कंबोडिया की टेलीकम्यूनिकेशन कंपनियों में पैसे लगाए थे.


इस सौदे में प्रधानमंत्री ओली के करीबी माने जाने वाले नेपाली बिजनेसमैन अंग शेरिंग शेरपा ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी. इस सौदे में कंबोडिया की सरकार का भी सीधा दखल था. बता दें कि साल 2015-6 के दौरान केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री थे. यह उनका पहला कार्यकाल था.


अब दूसरे कार्यकाल के दौरान भी ओली पर इसी तरह के गंभीर आरोप लग रहे हैं. कहा जा रहा है कि चीनी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ओली ने नियमों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है. ग्बोलब वॉच एनालिसिस की रिपोर्ट के एक चौंकाने वाले खुलासे के मुताबिक ओली ने चीनी कंपनी को 'डिजिटल एक्शन रूम' बनाने का ठेका दिया.


इसके लिए नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाई गईं. जिस काम के लिए चीनी कंपनी को यह ठेका दिया गया उसके लिए नेपाल की सरकारी कंपनी पूरी तरह सक्षम थी. आरोपों के बाद जब इस पूरे मामले की जांच की गई तो इसमें केपी शर्मा ओली के राजनीतिक सलाहकार विष्णु रिमल के बेटे की भूमिका खुलकर सामने आयी.