पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में सरकार इमरान खान की हारी और नारे लग रहे हैं नियाजी के खिलाफ. यही नहीं, पाकिस्तानी संसद में जब अविश्वास प्रस्ताव आया तब भी विपक्ष ने इमरान खान के बजाय नियाजी गो के नारे लगाए. आखिर ये नियाजी का चक्कर क्या है? इमरान को नियाजी कहकर क्यों पुकारा जाता है? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. यहां हम आपको बताते हैं.


इमरान खान भले ही अपने नाम में सिर्फ इमरान खान ही लिखते हैं. लेकिन पाकिस्तान में विपक्ष के नेता उन्हें चिढ़ाने के लिए उनके नाम के साथ नियाजी जोड़ लेते हैं. पाकिस्तान में इमरान के विरोधी उन्हें नियाजी कहते हैं. दरअसल इसका सिरा जुड़ता है 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति के संग्राम से... तब के पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी फौज की कमान जिन लेफ्टिनेंट जनरल के हाथ में थी, उनका नाम था- जनरल आमिर अब्दुल खान नियाजी.



  • 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे

  • पूर्वी पाकिस्तान से नए देश के रूप में बांग्लादेश बना

  • उस युद्ध में जनरल नियाजी को 92,000 फौजियों के साथ भारत के सामने सरेंडर करना पड़ा था.


जनरल नियाजी के फौज के साथ सरेंडर वाली उस घटना को पाकिस्तान में लोग बड़ा अपमानजनक मानते हैं. तभी से पाकिस्तान में नियाजी सरनेम को गाली के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. नियाजी को कायरता और कमजोर नेतृत्व का प्रतीक माना जाता है.


इसी का असर है कि इमरान खान भी अपने सरनेम में नियाजी नहीं लगाते. लेकिन विपक्ष के नियाजी वाले तानों से तंग आकर एक बार तो संसद में इमरान खान ने अपनी झुंझलाहट इस तरह निकाली थी. उन्होंने कहा था, 'मेरा नाम है इमरान अहमद खान नियाजी. अच्छा है कि पूरा नाम ले लिया करें.' इमरान ने भले ही अपने नाम के साथ नियाजी से पीछा छुड़वा लिया. लेकिन नियाजी, इमरान खान का अब भी पीछा नहीं छोड़ रहा है.


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