बाघ-बकरे का मिसाली याराना दुश्मनी में बदला, हमले में बकरे की मौत से पूरा रूस सदमे में
कभी दोनों दो दिल एक जान हुआ करते थे दोनों. दोनों की दोस्ती की मिसाल को देखने दूर-दूर से लोग आते थे. लेकिन जब दोस्ती में दरार पड़ गई, तब क्या हुआ ?
रूस: बाघ से दोस्ती कर पूरे मुल्क में चर्चा का विषय बना 'तिमूर' अब इस दुनिया में नहीं है. लेकिन उसकी जिंदगी में प्यार, मुहब्बत, साहस, दोस्ती और दुश्मनी का प्लॉट है. जिसकी गूंज दूर दूर तक सुनाई दे रही है. सफारी पार्क के डायरेक्टर ने नम आंखों से बताया, "5 नवंबर को उसका दिल का धड़कना बंद हो गया था. जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ती गयी. हमने उसको बचाने का हर उपाय किया, लेकिन हम अपनी कोशिश में नाकाम रहे. उसकी मौत से वन कर्मियों में शोक की लहर है. उसका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया गया.”
दरअसल, कहानी ये है कि रूस के एक जंगल में एक बाघ जिसका नाम अमूर है, उसकी दोस्ती एक बकरे से हुई, जिसका नाम तिमूर था. दोनों की दोस्ती की मिसाल पूरे रूस में दी जाती है. आज जब तिमूर इस दुनिया में नहीं है तो इसकी खबर पूरी दुनिया को बताई जा रही है, वजह साफ है कि दोनों दोस्ती की मिसाल इस दुनिया में नहीं मिलती.
दो दिल एक जान थे दोनों
दोनों की दोस्ती कितनी मजबूत थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोनों एक साथ एक ही जगह खेलते, खाते और सोते. अमूर तिमूर को शिकार करना सिखाता. दूर-दूर तक दोनों उछल कूद कर आपस में खूब मनोरंजन करते थे. बकरे की उम्र करीब 5 साल थी. अमूर से उसकी दोस्ती की शुरुआत 2015 में हुई थी. और तभी से दोनों साथ-साथ रहने लगे. सफारी पार्क में तिमूर को जब लाया गया था तो उस वक्त अमूर ने तिमूर को छुआ तक नहीं. और ना ही बकरे में बाघ को देखकर किसी तरह का भय था. बल्कि ऐसा लगता था दोनों में बहुत पहले से जान पहचान है.
आखिर कैसे टूटी तिमूर और अमूर की जोड़ी?
उनकी दोस्ती के चर्चे ने इतनी सुर्खियां बटोरी कि पर्यटक दूर-दूर से देखने आने लगे. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब उन दोनों के बीच दोस्ती में दरार पड़ गई. हुआ यूं कि बकरा बाघ के सामने थोड़ा साहसी हो गया और लगा उसे चैलेंज करने. बकरा, बाघ को करीब एक महीने तक परेशान करता रहा. लेकिन फिर भी उसने दोस्ती की मर्यादा बनाए रखी.
जनवरी 2016 में जब बकरे ने बाघ पर पांव रख दिया, तब उसका धैर्य जवाब दे गया. गुस्से में आकर बाघ ने बकरे को पहाड़ी पर फेंक दिया. जिससे बकरा घायल हो गया और लंगलगड़ा कर चलने लगा. बीमारी यहां तक बढ़ी कि बकरे ने जिंदगी की आस भी छोड़ दी. पार्क प्रबंधन ने बकरे को बेहतर इलाज के लिए मास्को भेजा. लेकिन वहां भी बाघ के हमले से घायल हुए बकरे का स्वास्थ्य ठीक नहीं हुआ. और आखिरकार उसकी मौत हो गयी. उसकी मौत के बाद ऑनलाइन शोक संदेश व्यक्त कर रूस के लोगों ने दुख जताया.
श्रद्धांजलि देनेवालों ने तिमूर को साहसी और उनके दिल में बसने वाला बताया. साथ ही तिमूर की कब्र पर अब कांस्य की स्मारक चिह्न बनाने की तैयारी चल रही है.