आज सफ़लता की कहानी गूगल CEO सुंदर पिचाई की. सफ़लता की इस ऊंची मंज़िल पर पहुंचना सुंदर पिचाई के लिए आसान नहीं था. राह में बाधाएं ज़रूर थीं पर मन में दृढ़ निश्चय था. कामयाबी के इस सफ़र की कहानी ख़ुद सुंदर पिचाई की ज़बानी.
मौका था ग्रैजुएट कॉन्वोकेशन समारोह का. अमेरिकी IIT छात्रों के लिए आयोजित किए जाने वाले इस वर्चुअल कॉन्वोकेशन में गूगल CEO ने छात्रों को सफ़लता का मूलमंत्र दिया और ग्रैजुएट हो रहे छात्रों को प्रेरित करने के लिए अपने संघर्ष के राज़ को भी खोला. एक ज़माना था जब सुंदर को अमेरिका में पढ़ाई के लिए पहुंचने के लिए जहाज़ के टिकट के लिए पैसे भी नहीं थे. उनके पिता को अपनी साल भर की जमा पूंजी टिकट के लिए देनी पड़ी थी.
गूगल CEO का संदेश
सुंदर पिचाई ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि मुश्किल वक़्त में उमीद करना ज़रा कठिन हो जाता है, लेकिन जीतेंगे आप ही. अपने बीते दिनों को याद करते हुए पिचाई ने कहा कि “मेरा अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए आना आसान नहीं था. उस समय घर वालों से बात करना भी काफी मंहगा था. यहां तक की 10 साल की उम्र तक हमारे घर में टेलीफोन तक नहीं था. और स्टैनफोर्ड में पढ़ाई के लिए अमेरिका आने तक कम्प्यूटर भी हमसे दूर था यहां तक की टेलीविज़न पर भी एक ही चैनल आता था.”
कोरोना महामारी की इस संकट को याद करते हुए कहा गूगल CEO ने कहा कि 1920 की महामारी के दौरान भी छात्रों ने स्नातक किया था. 1970 का वियतनाम का युद्ध भी छात्रों को डिगा नहीं सका. हमें इतिहास कि इन घटनाओं से सबक़ लेनी चाहिए और उमीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए. इस लाइव स्ट्रीमिंग में कई हस्तियां मौजूद थीं, जिनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा के नाम शामिल हैं.
सुंदर पिचाई का आरंभिक जीवन
आज सफ़लता के शिखर पर विराजमान और मंहगी सैलरी पाने वाले सुंदर पिचाई का आरंभिक जीवन मदुरै में गुज़रा. चेन्नई से दसवीं तक की पढ़ाई की और फ़िर बाद में IIT खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. मन में आगे बढ़ने की चाह लिए आगे की पढ़ाई के लिए स्टैनफोर्ड अमेरिका पहुंचे. उसके आगे की कहानी हमारे आपके सामने है.
- वर्ष 1972 में चेन्नई जन्म
- पिता ब्रिटिश कंपनी जीईसी में इंजीनियर थे
- 17 साल की उम्र में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास कीआईआईटी,
- खड़गपुर से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई (1989-93) के दौरान पूरी की. हमेशा अपने बैच के टॉपर रहे.
- फाइनल एग्जान में अपने बैच में टॉप किया. रजत पदक हासिल किया था.
- आईआईटी में पढ़ाई खत्म करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय गए.
- बीते 15 साल से गूगल में नौकरी कर रहे हैं.