Pakistan Prime Minister On Army: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्वीकार किया है कि उनकी सरकार शक्तिशाली सेना के समर्थन के बिना नहीं चल सकती है. शरीफ का यह बयान तख्तापलट की आशंका वाले देश की राजनीति में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है. शरीफ जब विपक्ष के नेता थे, तो वह हाइब्रिड शासन चलाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की आलोचना करते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद अब उन्होंने वही तरीका खुद अपना लिया है. 


गुरुवार (10 अगस्त) को प्रसारित जियो न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में जब एंकर ने बताया कि पाकिस्तान आज दुनिया में हाइब्रिड शासन के सबसे प्रमुख उदाहरणों में से एक है तो शरीफ ने कहा कि खान ने पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पर बहुत भरोसा किया था. शहबाज शरीफ ने कहा कि इमरान खान को अपने कार्यकाल के दौरान सैन्य समर्थन भी मिला. दूसरों के खिलाफ आरोपों के बावजूद उनकी सरकार विभिन्न घटकों का मिश्रण थी. उनका कहना है कि हर सरकार को सेना सहित प्रमुख क्षेत्रों से समर्थन की ज़रूरत होती है. 


पाकिस्तान में सेना चलाती आ रही है शासन
1947 में विभाजन के बाद से पाकिस्तान के इतिहास के लगभग आधे हिस्से में सीधै तौर पर सेना ने शासन चलाया है और जो बाकी का आधा समय है उसमें पर्दे के पीछे से देश की राजनीति को नियंत्रित करने का काम सेना ने किया है. हालांकि पाकिस्तान की सेना ने बार-बार कहा है कि वह देश की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करेगी, लेकिन देश के मामलों में उसका प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है.  


हाल ही में पाकिस्तानी सेना वित्तीय निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग ले रही है और पीएम शरीफ ने इसका विरोध करने के बजाय इस ट्रेंड को बढ़ावा दिया है. उन्होंने प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेष निवेश सुविधा परिषद की स्थापना की और प्रधानमंत्री के साथ सेना प्रमुख भी इसका हिस्सा हैं.


शरीफ ने अप्रैल में कहा था कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने सऊदी अरब और यूएई से धन हासिल करने में भूमिका निभाई, क्योंकि नकदी संकट से जूझ रहे देश के साथ बेलआउट समझौते पर मुहर लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की यह पूर्व शर्त थी. 


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