सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने अधिकारियों को कोविड-19 रोधी वैक्सीन नहीं लगवानेवाले सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोके जाने का आदेश दिया है. शाह ने गुरुवार को प्रांतीय कोरोना वायरस टास्क फोर्स की मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए ये फैसला लिया, जो जुलाई से प्रभाव में आ जाएगा.


पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार का अप्रत्याशित फैसला


मीटिंग के दौरान प्रांत में कोरोना वायरस की स्थिति पर चर्चा की गई और टीकाकरण के आंकडों की भी समीक्षा की गई. मीटिंग में मुख्यमंत्री को बताया गया कि पिछले 24 घंटे में 78,799 लोगों का सिंध में टीकाकरण हो चुका है. इससे पहले, 27 मई को सूबे के कर्मचारियों को कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के लिए 7 दिनों का अल्टीमेटम दिया गया था. मुख्यमंत्री मुराद ने कहा कि वैक्सीन रहित सिंध के सरकारी कर्मचारियों का वेतन नहीं जारी किया जाना चाहिए अगर उन्होंने जून के अंत तक कोविड-19 की वैक्सीन नहीं लगवाई है और इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय को निर्देश जारी किया. मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने आम जनता से वैक्सीन लगवाने के लिए सबसे करीबी टीकाकरण केंद्र पर पहुंचने की अपील फिर दोहराई.


सरकारी कर्मियों के लिए 'नो वैक्सीन, नो वेतन का नियम'


उन्होंने सूबे के 300 प्राथमिक स्वास्थ्य यूनिट को टीकाकरण केंद्र में बदलने का आदेश दिया ताकि रोजाना 30,000 लोगों का टीकाकरण किया जा सके. कोरोना वायरस की स्थिति पर निगरानी रखनेवाली राष्ट्रीय संस्था ने इस साल देश में 7 करोड़ लोगों को कोविड-19 की वैक्सीन लगवाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. उन्होंने मोबाइल टीकाकरण टीम को रोजाना 60,000 लोगों तक वैक्सीन लगवाने का भी जिम्मा सौंपा. उन्होंने कहा कि 90 निजी तौर पर सूबे में संचालित अस्पतालों को प्रतिदन कोविड-19 वैक्सीन के 10,000 डोज देना चाहिए. शाह ने कहा، "हमें अपने शहरियों को कुछ अप्रत्याशित कदम उठाकर सुरक्षित करना होगा."


भारत का सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म Koo अब नाइजीरिया में भी है उपलब्ध, ट्विटर की जगह लेने को तैयार


पहले इनकार अब रजामंदी, भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन का आयात करेगा ब्राजील