Gyanvapi Mosque: विश्व हिंदू परिषद की अमेरिकी इकाई ने यूपी के वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाने में वाराणसी जिला कोर्ट के पूजा से जुड़े आदेश का स्वागत किया है. विश्व हिंदू परिषद अमेरिका (वीएचपीए) की ओर से कहा गया, "माननीय न्यायालय का निर्णय विचारशील, न्यायपूर्ण और सराहना के योग्य है."


वीएचपीए के बयान में गुरुवार (1 फरवरी, 2024) को यह भी बताया गया, यह ऐतिहासिक फैसला नवंबर 1993 में हिंदुओं से गैरकानूनी तरीके से छीने गए अधिकारों को बहाल करता है. वाराणसी जिला न्यायाधीश की ओर से तहखाने में हिंदू प्रार्थनाओं को फिर शुरू करने की अनुमति देने के लगभग आठ घंटे बाद बुधवार रात को मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा हुई थी. वहां यह पूजा लगभग तीन दशक पहले बंद कर दी गई थी.


साक्ष्यों के आधार पर दिया गया फैसला- VHPA


वीएचपीए की तरफ से यह भी बताया गया कि वाराणसी कोर्ट के आदेश के कुछ घंटे बाद मस्जिद समिति ने आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वीएचपीए इस बात पर जोर देता है कि यह मामला मूल रूप से संपत्ति के अधिकारों के बारे में है. इसे किसी अल्पसंख्यक समूह के खिलाफ संघर्ष नहीं मानना चाहिए. हिंदू पक्ष की ओर से दिए गए साक्ष्यों के आधार पर ही फैसला दिया गया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए पुरातात्विक सर्वेक्षणों में पहले ही मंदिर के पक्ष में सबूत मिले हैं. ऐसे में साफ होता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर के विध्वंस के बाद किया गया था. वीएचपीए इस सबूत के महत्व को पहचानने के लिए अदालत की सराहना करता है. 


USA के मुस्लिमों ने क्या कुछ कहा? जानिए


भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (आईएएमसी) के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदू भक्तों को पूजा करने की अनुमति देने वाले अदालत के आदेश की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा, "हम इतिहास और विरासत को मिटाने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेंगे. राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक जगहों में हेर-फेर के खिलाफ हम दृढ़ता से खड़े हैं. अदालत का यह फैसला अन्यायपूर्ण लिया गया है. यह आदेश भारत के 20 करोड़ मुसलमानों के अधिकारों पर  एक और हमला है."


सुप्रीम कोर्ट तक गया केस, मगर HC जाने की दी गई सलाह


दरअसल, 1 फरवरी 2024 को ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने जिला अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए तत्काल सुनवाई की मांग को मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था मगर टॉप कोर्ट ने मस्जिद समिति को इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए कह दिया. बाद में मस्जिद समिति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.


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