नई दिल्ली: बांग्लादेश की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को परोक्ष रूप से दूसरे पड़ोसी पाकिस्तान की कड़ी निंदा की और कहा कि उसकी सोच इस क्षेत्र की शांति में एक बड़ा रोड़ा है. उन्होंने यह टिप्पणी उस समय की जब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के भारतीय नायकों का यहां एक खास कार्यक्रम में अभिनंदन किया और उनके योगदानों को स्मरण किया.


'इस क्षेत्र की तरक्की के बगैर अधूरा है भारत का विकास'


प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रसिद्ध नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ का जिक्र करते हुए कि यह बस भारत तक सीमित नहीं है बल्कि यह पड़ोसी देशों के लिए भी है क्योंकि भारत का विकास इस क्षेत्र की तरक्की के बगैर अधूरा है.


साल 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी दक्षेस देशों के नेताओं को निमंत्रित करने वाले मोदी ने कहा, ‘‘हमने (इस क्षेत्र के) हर देश की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और उन्हें अपने विकास का हिस्सा बनने का न्यौता दिया. बिना किसी स्वार्थ के हमने पूरे क्षेत्र की भलाई की कामना की.’’


मानवता नहीं बल्कि चरमपंथ और आतंकवाद


मोदी ने कहा,‘‘हम वाकई सोचते हैं कि इस क्षेत्र के सभी देशों के नागरिक तरक्की करें और समृद्ध बनें. हमारे दरवाजे सहयोग के लिए हमेशा खुले हैं लेकिन उसके लिए आतंकवाद का परित्याग करना होगा.’’ उन्होंने बिना पाकिस्तान का नाम लिए लेकिन स्पष्ट तौर पर उसकी ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘दक्षिण एशिया में एक ऐसी सोच है जो आतंकवाद को प्रश्रय देता है और उकसाता है. इस सोच की प्राथमिकता मानवता नहीं बल्कि चरमपंथ और आतंकवाद है.’’ मोदी ने कहा कि भारत इसी सोच की मार झेल रहा है जो आतंकवाद को बढ़ावा देता है.


मोदी ने कहा, ‘‘यह सोच, जिसके नीति नियंता मानवता के स्थान पर आतंकवाद, विकास के स्थन पर विनाश को, सर्जना के स्थान पर विध्वंस को, भरोसा की जगह पीठ में छूरा घोंपने को वरीयता देते हैं, समाज एवं उसके आथिक विकास के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. ’’ यह उल्लेख करते हुए 1661 भारतीय सैनिकों ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अपना जीवनोत्सर्ग कर दिया, उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में भारतीय सेना का संघर्ष भुलाया नहीं जा सकता.


मोदी और हसीना ने की बैठक


इस कार्यक्रम से पहले मोदी और हसीना ने बैठक की और 14 गार्ड के मेजर अशोक तारा के साथ फोटो खिंचवाए. मेजर तारा ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के परिवार को धनमंडी में एक घर से बचाकर निकाला था जहां पाकिस्तानी सैनिकों ने 1971 में उन्हें कैद कर रखा था. रहमान हसीना के पिता थे.


मोदी ने कहा, ‘‘भारतीय सेना ने अपना कर्तव्य निभाने में कभी संकोच नहीं किया और उसने युद्ध की परंपराओं का पालन कर मिसाल कायम की. 1971 के संग्राम के बाद 90,000 से अधिक युद्धबंदियों को सुरक्षित रिहा किया गया. भारत की मानवीय सद्भावना इस सदी की सबसे बड़ी घटनाओं में एक है. ’’ उन्होंने कहा कि 1971 में बांग्लादेश की पूरी पीढ़ी तथा बांग्लादेश के विचार पर गर्व करने वाले हरेक व्यक्ति को मिटा देने के लिए नरसंहार किया गया था.


बांग्लादेश की आजादी के लिए मिलकर लड़ी लड़ाई


उन्होंने कहा, ‘‘इस नरसंहार का उद्देश्य बस निर्दोषों की हत्या करना ही नहीं बल्कि बांग्लादेश के विचार को समूल रूप से नष्ट करना था. ’’ इस मौके पर हसीना ने कहा कि बांग्लादेश का इतिहास भारतीय शहीदों और बांग्लादेश के साहसी स्वतंत्रता सेनानियों के खून से लिखा गया है. उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने बांग्लादेश की आजादी के लिए मिलकर लड़ाई लड़ी. उनके बलिदान की कहानी हमारे दोनों देशों में पीढ़ी दर पीढ़ी याद की जाएगी.’’