Israel Hamas War: पश्चिमी एशिया में पिछले एक साल से ईरान और हमास के बीच जंग चल रहा है. इस जंग में वक्त के साथ दूसरे संगठन और देश भी जुड़ते चले गए, जैसे हिज्बुल्लाह, हूती, ईरान और लेबनान.
हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल के शहरों को निशाना बनाते हुए हजारों की संख्या में रॉकेट दागे थे. इसके अलावा सरहद से सटे इलाकों में हमास के लड़कों ने घुसपैठ की थी और लोगों को मौत के घाट उतारा था, लेकिन ये हमला जितना तीव्र और अचानक दिखता है उतना था नहीं. इस हमले की तैयारी लंबे वक्त से हो रही थी.
लंबे वक्त से हमले की चल रही थी तैयारी
यह हमला 9/11 की तरह इजरायल पर हमला करने की योजना का हिस्सा था. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, हमास ने इस हमले को 2022 में ही अंजाम देने की योजना बनाई थी, लेकिन इसे टाल दिया गया. रिपोर्ट्स से पता चला कि हमास ने ईरान और हिजबुल्लाह से समन्वय बढ़ाने और अपने सैन्य कौशल को मजबूत करने के लिए इस हमले को एक साल के लिए टाल दिया. न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट और वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने बताया है कि हमास ने इजरायल के खिलाफ एक बड़े हमले की तैयारी पहले से ही शुरू कर दी थी, जिसे "द बिग प्रोजेक्ट" कहा गया.
हमले की तैयारी और योजनाएं
रिपोर्ट्स के अनुसार, जनवरी 2022 से लेकर अगस्त 2023 तक हमास के नेताओं और कमांडरों ने 10 उच्चस्तरीय बैठकों में इस हमले की विस्तृत योजना बनाई. हमास नेता याहया सिनवार, मुहम्मद जईफ, मारवान इस्सा और उनके भाई मुहम्मद सिनवार इन चर्चाओं में शामिल थे. हमले का मकसद इजरायल की सैन्य ढांचे को ध्वस्त करना और नागरिक आबादी को निशाना बनाना था. 2021 में, हमास ने ईरान से वित्तीय मदद की मांग की और इसे 10 मिलियन डॉलर मिले. इसके बाद में, हमास ने दो सालों में 500 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता की मांग की.
पहले यह हमला 2022 के अंत में होना था, लेकिन हमास ने इसे ईरान और हिजबुल्लाह से और मदद हासिल करने के मकसद से टाल दिया. अगस्त 2023 में, हमास के उप प्रमुख खलील अल-हैय्या ने लेबनान का दौरा किया और ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के वरिष्ठ कमांडर से मुलाकात की. इस मुलाकात में हमला करने की योजना पर चर्चा की गई, लेकिन हिजबुल्लाह और ईरान ने कहा कि उन्हें "माहौल तैयार करने" के लिए और वक्त चाहिए.
9/11 जैसा हमला करने की योजना
हमास की एक और चौंकाने वाली योजना थी, जो 9/11 के हमले जैसी थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, हमास ने तेल अवीव में अज़रीली टावर्स को गिराने की योजना बनाई थी, लेकिन कई महीनों के बाद यह निष्कर्ष निकला कि उनके पास ऐसा करने की कूबत नहीं है. इसके अलावा, हमास ने बाकी कई योजनाओं को भी खारिज कर दिया. सितंबर 2022 तक हमास के नेताओं ने महसूस किया कि वे इस हमले के लिए तैयार हैं, लेकिन फिर भी इसे और आगे टाला गया.
आखिर में, 7 अक्टूबर 2023 को हमले का दिन चुना गया. यह दिन यहूदी त्योहार सिमहात तोरा के साथ मेल खाता था, जब इजरायल की सैन्य तैयारी कम होती है. हमले की सफलता में एक और बड़ी बात कि हमास ने इजरायली खुफिया एजेंसियों को गुमराह कर दिया था, जिससे वे एक बड़े हमले की संभावना को नजरअंदाज कर बैठे. हालांकि हमास ने इस हमले को अपने दम पर अंजाम दिया, ईरान और हिजबुल्लाह की भूमिका पर विवाद बना हुआ है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि तेहरान इस हमले के लिए जिम्मेदार नहीं था. अमेरिकी और इजरायली खुफिया एजेंसियों ने भी कहा कि ईरानी अधिकारी इस हमले से अनजान थे.
ये भी पढ़ें:
'शहादत के बाद भेदभाव क्यों?', नासिक में अग्निवीरों के बलिदान पर राहुल गांधी ने PM मोदी से पूछा सवाल