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Hamas Leader Ismail Haniyeh Death : हमास चीफ की मौत के बाद क्यों दुनियाभर में डर का माहौल, युद्ध का खतरा हुआ गहरा, 8 पॉइंट में समझें
Hamas leader Ismail Haniyeh : इस्माइल हनिया तेहरान में उस समय मारे गए, जब वह ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण के लिए पहुंचे थे.
Hamas leader Ismail Haniyeh : हमास के चीफ इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या कर दी गई, जो अब दोनों देशों के लिए एक निर्णायक क्षण हो सकता है. इस्माइल हनिया तेहरान में उस समय मारे गए, जब वह ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण के लिए पहुंचे थे. अब हनिया की मौत से दुनियाभर में डर का माहौल है, युद्ध का खतरा पैदा हो गया है. अब ईरान, हमास और इजरायल के बीच कैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, समझते हैं 8 पॉइंट्स में.
- पिछले साल 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने हमला कर 1,200 इजरायली नागरिकों और सैन्य कर्मियों को मार डाला था और लगभग 250 लोगों को बंधक बनाया था, तब से इजरायली सेना ने हमास नेताओं को मारने की ठान ली थी. अब तक इसमें 40,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. इजरायल के हमले में अब तक हनिया उच्च पदस्थ व्यक्ति थे, जिन्हें मारा गया.
- हनिया कतर में स्थित इसके राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख थे. वह हमास के एक सार्वजनिक चेहरा थे. बंधकों को छुड़ाने के सौदे और युद्ध विराम की शर्तों पर बातचीत कर रहे थे, जबकि याह्या सिनवार सैन्य नेता हैं, जो 7 अक्टूबर के हमलों के लिए जिम्मेदार थे. एक बयान में हमास ने हनिया की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह नए ईरानी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के बाद तेहरान में अपने निवास पर मारे गए. हमास के अधिकारी सामी अबू ज़ुहरी ने रॉयटर्स को बताया कि ईरान में हनिया की हत्या एक गंभीर बात है.
- क्योंकि हमला सीधे तेहरान में हुआ है. अब हमास और ईरान दोनों के लिए यह बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जाएगा. इजरायल के लिए भी यह एक संकेत है कि हमास नेता ईरान में और ईरान के संरक्षण में सुरक्षित नहीं हैं. इस साल अप्रैल में ईरान और इजरायल ने भी एक दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन से कई हमले किए थे, तब से अब तनाव कम हो गया है, लेकिन इस हत्या से दुश्मनी और बढ़ने की आशंका है.
- ईरान और हमास के भीतर अब हनिया की मौत का बदला लेने की मांग उठ रही है. निश्चित रूप से नव-निर्वाचित ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान
पर दबाव पड़ेगा. राष्ट्रपति का चुनाव अभियान मुख्य रूप से पश्चिम के साथ बातचीत शुरू करने पर केंद्रित था, लेकिन हनिया की हत्या के बाद मसूद पेजेश्कियान पर जवाब देने का दबाव होगा. पेजेश्कियान ने बुधवार को कहा कि ईरान अपनी क्षेत्रीय अखंडता, गरिमा, सम्मान और गौरव की रक्षा करेगा और आतंकवादी कब्जाधारियों को तेहरान में हनिया की हत्या करने के उनके कायरतापूर्ण कृत्य पर पछतावा करवाएगा. इसका जवाब देने के तरीके पर वह सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के साथ बातचीत करने में लगे हैं. - वहीं, इस हत्या ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को बड़ी लाइफलाइन दी है, क्योंकि हमास से युद्ध के बाद उन्हें सवालों का सामना करना पड़ रहा था और उनका राजनीतिक अस्तित्व भी दांव पर लगा हुआ है. उन पर हमास के साथ बंधक समझौते को अंतिम रूप देने का दबाव बढ़ रहा है, जिसकी मध्यस्थता अमेरिका, मिस्र और कतर सहित अन्य देश कर रहे थे. इस हत्या से फिलहाल ऐसे सभी प्रयासों पर पानी फिर सकता है और उम्मीद है कि इससे गाजा में युद्ध लंबा खिंच सकता है. इसका मतलब यह होगा कि नेतन्याहू युद्ध खत्म होने तक पद पर बने रहेंगे.
- नवंबर में होने वाले अमेरिकी चुनावों के लिए अभियान अब निर्णायक चरण में है, क्योंकि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अब संभावित डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हैं. उन्होंने संकेत दिया कि वह अपने जो बाइडेन की तुलना में नेतन्याहू और गाजा में युद्ध के प्रति अधिक सख्त रहेंगी. इस हत्या ने उनके लिए हालात जटिल कर दिए हैं.अब उन्हें सोचना होगा और जवाब तैयार करना होगा, ताकि क्षेत्र में तनाव बढ़ने की स्थिति में वे इसका सामना कर सकें.
- दुनियाभर के लिए यह हत्या अच्छी खबर नहीं है, खासकर अगर ईरान और हमास और इजरायल में तनाव बढ़ता तो. इस तनाव का असर पूरे पश्चिम एशिया पर पड़ेगा. कतर, तुर्की और यमन ने पहले ही हत्या की निंदा की है और सऊदी अरब, यूएई जैसे देश यहां की घटनाओं पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. गाजा में 9 महीने से ज्यादा समय से चल रहे युद्ध के बाद अब यह एक निर्णायक क्षण होगा.
- भारत अभी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है. नई दिल्ली हमास नेताओं के बारे में कोई सकारात्मक भावना नहीं रखता है, लेकिन इस बार सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि मामला विदेशी धरती पर दूसरे की हत्या से जुड़ा है. भारत की तत्काल चिंता इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता होगी, जहां लगभग 9 मिलियन भारतीय प्रवासी रहते हैं, इसके अलावा यह भारत को लगभग दो-तिहाई कच्चे तेल की आपूर्ति भी करता है.
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अवनीश पी. एन. शर्मा, ICCRसलाहकार सदस्य
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