नासा के वैज्ञानिकों के हवाले से समानांतर ब्राह्रांड के दावे की क्या है हकीकत ?
ब्राह्मांड के बारे में जानने के लिए इंसान शुरू से ही जिज्ञासु रहा है.इन दिनों विदेशी पत्रिकाओं में ऐसी ही सनसनीखेज खबरें दिख रही हैं.
क्या नासा के वैज्ञानिकों ने समानांतर ब्राह्रांड ढूंढ निकाला है जहां समय विपरीत चलता है? आज कल इस तरह की सनसनीखेज खबरों से इंटरनेट और विदेशी पत्रिकाएं भरी पड़ी हैं. लेकिन क्या ये हकीकत है या सिर्फ मनगढ़ंत बात ? इस दावे की उत्पत्ती कहां से और कैसे हुई?
समानांतर ब्राह्रांड की क्या है 'थ्योरी' ?
छह हफ्ता पहले न्यू साइंटिस्ट पत्रिका में एक लेख प्रकाशित हुआ था. जिसमें ब्राह्रांडीय किरणों पर अंटार्टिका में किए गए शोध के हैरतअंगेज नतीजे के हवाले से बात कही गई. उस वक्त वैज्ञानिक गुब्बारा रेडियो एंटीना के साथ उड़ाकर रेडियो तरंगों को पकड़ने की कोशिश में जुटे थे.
2016 में परीक्षण के दौरान कुछ सिग्नल वैज्ञानिकों को मिले जिसे उन्होंने नियम विरुद्ध पाया. रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने उच्च शक्ति वाले कण का सबूत पाया. इन कणों का कोई स्रोत नहीं था. परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों को ये घटना असंभव लगी. शोध के बाद अंत में उन्होंने माना कि जरूरी नहीं कि ये घटना समानांतर ब्राह्रांड के बारे में बताए.
शोध को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया
दरअसल शोध को बढ़ा चढ़ाकर और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. वैज्ञानिकों ने वास्तव में मौलिक कण का सबूत पाया था. एक पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि समानांतर ब्राह्रांड के वर्तमान दावे का सबूत जीरो है. ऐसा इसलिए कि अगर उन दावों पर भरोसा किया जाए तब भौतिक के सभी सिद्धांत अलग दिशा में जाते हुए दिखेंगे. इसके बजाय हो सकता है ये समामांतर ब्राह्रांड ना हो जो बिग बैंग समय के विपरीत चल रहा है. फिलहाल नासा के वैज्ञानिकों के हवाले से किए जा रहे दावे नई भौतिक की परिभाषा गढ़ने में दूर माने जा रहे हैं.
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