Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की कमान एक बार फिर पीएमएल-एम नेता शहबाज शरीफ के हाथ में हैं. उन्होंने सोमवार (4 मार्च) को पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. रविवार (3 मार्च) को पीएमएल-एन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के संयुक्त उम्मीदवार शहबाज शरीफ को 336 सदस्यीय सदन में 201 वोट मिले थे, जो सदन का नेता बनने के लिए जरूरी मतों से 32 ज्यादा हैं. 


शहबाज शरीफ अर्थव्यवस्था समेत कई मोर्चों पर संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में 24वें प्रधानमंत्री बने हैं. क्या उनकी सरकार पाकिस्तान को संकट से निकाल पाएगी? इस सवाल की चर्चा है.


हाल में पाकिस्तान के यूट्यूबर कमर चीमा (जो इस्लामाबाद में अकादमिक और रणनीतिक विश्लेषक भी हैं) ने अपने चैनल पर पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (PIDE) के वीसी नदीम उल हक से बात की और सवाल पूछा कि भिखारी वाली बातें हमारे बारे में की जाती हैं, क्या आने वाली हुकूमत चुनौतियों से निपट पाएगी? इस पर विशेषज्ञ ने चौंकाने वाला जवाब दिया. 


पाकिस्तान को लेकर क्या बोले एक्सपर्ट?


नदीम उल हक ने कहा, ''चुनौतियां तो बहुत हैं, सबको पता है... हम एक देश के रूप में और हमारे जो भी नेता हैं वो चैलेंजेज कबूल नहीं करना चाहते... इस्लाम का ठेका हमने लिया हुआ है, पर अगर आप देखें तो हर एरिया में हम फेल कर रहे हैं. इस वक्त हमारी जो पॉलिटिक्स चल रही है वो वही पुराने चेहरे लेकर आ रही है, कोई नई बात नहीं है... हमारी हुकूमत तो इन चीजों पर चल रही है कि एकतदार (सल्तनत काल में सरकारी कुलीन वर्ग) की जंग है, उनको कोई शौक नहीं है कि अपने मुल्क में तरक्की करनी है.''


उन्होंने कहा, ''हमें इकोनॉमी से कोई ताल्लुक नहीं है. हम अभी तक सोच रहे हैं कि शायद अमेरिका या चीन माफ कर देगा कुछ, तो हम अभी तक बेकारी मोड में हैं कि हमारा कोई कर्जा माफ कर दे.''


पाकिस्तानी लोगों पर भी कसा तंज


पाकिस्तानी विशेषज्ञ नदीम उल हक ने पाकिस्तान की जनता पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा, ''हमारे यहां बैठे हुए हैं कि सरकार हमें कुछ दे देगी और हम कुछ नहीं करेंगे. बैठे रहेंगे और हम भी (सरकार) कहते हैं कि हम आगे कर्जा माफ करा लेंगे, कोई बात नहीं, कुछ टुकड़ा बेच देंगे जमीन का, कुछ बाप की जायदाद बेच देंगे, कुछ गैरत बेच देंगे, कुछ और बेच देंगे, बस चले जाएंगे, तो क्या करें इसमें. मुझे तो कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही.''


IMF से कर्ज मिलने के सवाल पर क्या बोले?


नदीम उल हक ने कहा, ''एक ट्रीटी है जिसके तहत आईएमएफ बनता है. उस ट्रीटी पर सब मुल्क साइन करते हैं. उस ट्रीटी में लिखा हुआ है कि आईएमएफ पॉलिटिक्स में नहीं फंसेगा, आईएमएफ सिर्फ इकोनॉमिक्स में रहेगा... आईएमएफ ने तो 75 साल से हमें दिए कर्जे और 75 साल से हमने कोई काम नहीं किया...''


पाकिस्तान के पास लीडर क्यों नहीं हैं?


पाकिस्तान में नेता क्यों नहीं हैं? यह पूछे जाने पर नदीम उल हक ने कहा, ''हम लीडर इसलिए नहीं हैं क्योंकि लीडर जो होता है वो सोचने वाला और पढ़ने वाला विजनरी आदमी होता है.'' 


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