हिज्बुल्लाह ने पिछले हफ्ते हुए ड्रोन हमले में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के हॉलिडे होम को निशाना बनाया. संगठन का दावा है कि वह नेतन्याहू के बेडरूम की खिड़की तक पहुंच गया था. इस घटना के बाद से ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ गया है. दरअसल इजरायल का कहना है कि नेतन्याहू के घर तक ड्रोन पहुंचाने में हिज्बुल्लाह के साथ साथ ईरान का भी हाथ हैं.


हालांकि ईरान ने इस मामले से खुद को दूर कर लिया है. इस हमले में नेतन्याहू की गैरमौजूदगी से कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन हिज्बुल्लाह ने भविष्य में और हमलों की चेतावनी दी है. इस घटना के बाद इजरायल ने लेबनान के दक्षिणी क्षेत्रों पर कई हवाई हमले किए, जिससे लेबनान में हालात और गंभीर हो गए हैं.


हमले की जिम्मेदारी और हिज्बुल्लाह की धमकी


हिज्बुल्लाह के मीडिया प्रमुख मोहम्मद आफिफ ने एक प्रेस कांफ्रेंस में इस ड्रोन हमले की जिम्मेदारी ली और कहा, "इस्लामिक प्रतिरोध इस हमले और नेतन्याहू के घर को निशाना बनाने की जिम्मेदारी लेता है." आफिफ ने संकेत दिया कि भविष्य में भी ऐसे हमले किए जा सकते हैं और कहा कि "आने वाले दिन और रातें और युद्धक्षेत्र हमारे और इजरायल के बीच हैं."


उन्होंने स्पष्ट किया कि इजरायल के साथ किसी भी तरह की वार्ता तब तक संभव नहीं है, जब तक लड़ाई जारी रहती है. इसके साथ ही उन्होंने कबूल कि कुछ हिज्बुल्लाह के लड़ाके इजरायल की सेना की ओर से बंदी बनाए गए हैं.


इजरायल पर आरोप और कैदियों की सुरक्षा का मुद्दा


आफिफ ने इजरायल पर युद्ध नैतिकताओं का पालन न करने का आरोप लगाया और कहा कि इजरायल उनके बंदियों की सुरक्षा का जिम्मेदार है. हिज्बुल्लाह ने इजरायल की ओर से हिज्बुल्लाह से जुड़े वित्तीय संस्थान 'अल-कार्द अल-हसन' पर हमले की भी निंदा की. आफिफ ने कहा, "हमें पहले से ही इस तरह के हमले की आशंका थी और हमने अपने सभी सावधानियां बरती हैं. हम अपने जमाकर्ताओं के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए जो भी आवश्यक होगा, करेंगे."






आईडीएफ ने अल जज़ीरा पत्रकारों को बताया हमास का ऑपरेटिव


आईडीएफ ने बुधवार (23 अक्टूबर 2024) को दावा किया कि उसने गाजा पट्टी में ऐसे दस्तावेज़ बरामद किए हैं, जो दिखाते हैं कि अल जज़ीरा के छह सक्रिय पत्रकार हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के आतंकी संगठनों में काम कर रहे हैं. इन पत्रकारों के नाम अनस अल-शरीफ, अलाअ सलामेह, होसाम शबत, अशरफ अल-सर्राज, इस्माइल अबू ओमर और तलाल अल-अर्रौकी हैं.


आईडीएफ के अनुसार, अल-शरीफ ने हमास की नुसेरत बटालियन में एक रॉकेट लॉन्चिंग स्क्वॉड के प्रमुख और नुखबा फोर्स कंपनी के सदस्य के रूप में काम किया है; सलामेह इस्लामिक जिहाद के शाबोरा बटालियन की प्रोपेगेंडा यूनिट के उप प्रमुख रहे हैं; शबत हमास की बेइत हनून बटालियन में स्नाइपर के रूप में कार्यरत रहे हैं; अल-सर्राज इस्लामिक जिहाद की बुरेज बटालियन के सदस्य रहे हैं; अबू ओमर पूर्व खान यूनिस बटालियन में एक ट्रेनिंग कंपनी कमांडर थे और कुछ महीने पहले एक इजरायली हवाई हमले में घायल हुए थे; और अल-अर्रौकी हमास की नुसेरत बटालियन में एक टीम कमांडर के रूप में काम कर रहे थे.


 ये भी पढ़ें:


शरद पवार को झटका, सुप्रीम कोर्ट का अजित पवार को चुनाव चिन्ह 'घड़ी' का इस्तेमाल करने से रोकने से इनकार