श्रीलंका में हाहाकार मचा हुआ है. 30 साल के सबसे बड़े आर्थिक संकट को लेकर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. एक सांसद की मौत तक हो चुकी है. मंगलवार को रक्षा मंत्रालय ने किसी भी दंगाई को गोली मारने का आदेश दिया. वहीं श्रीलंका में भारत के खिलाफ अफवाहों और फेक न्यूज़ का बाजार गर्म है. कभी राजपक्षे परिवार के भारत में शरण लेने तो कभी भारतीय सेना के पहुंचने को लेकर अफवाहें और खबरें चलाई जा रही हैं.


कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने आज एक बार फिर श्रीलंका में सेना भेजे जाने संबंधी खबरों को खारिज किया है. उच्चायोग ने कहा कि कुछ समाचार माध्यमों और सोशल मीडिया में भारत के अपने सैनिक श्रीलंका भेजने को लेकर चल रही कयासबाजी की खबरों का हम खंडन करते हैं. इस तरह की रिपोर्ट्स और विचार भारत के आधिकारिक रुख के कतई अनुरूप नहीं हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय यह साफ कर चुका है कि भारत श्रीलंका में लोकतंत्र, उसकी समृद्धि और स्थायित्व का समर्थक है. इससे पहले भारत सरकार ने राजपक्षे परिवार के शरण लेने संबंधी खबरों को भी नकारते हुए उन्हें फेक न्यूज़ करार दिया था.






वहीं दूसरी ओर श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने मंगलवार को स्थायी सोशल मीडिया में आयी उन खबरों को भी 'फर्जी और बिल्कुल गलत' करार दिया, जिसमें श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के सदस्यों के भारत भाग जाने की अटकलें लगायी गई हैं.


श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के चलते सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज होने के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. महिंदा राजपक्षे के सोमवार को इस्तीफे के बाद से उनके ठिकाने के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसी खबरें आई हैं कि महिंदा राजपक्षे मंगलवार सुबह अपने कार्यालय-सह-आधिकारिक निवास ‘टेंपल ट्रीज’ से निकल गए थे.


श्रीलंका में तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा, देश में गंभीर आर्थिक संकट पर उन्हें हटाने की मांग कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद सोमवार को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें आठ लोगों की जान चली गई थी. वहीं, कोलंबो और अन्य शहरों में हुई हिंसा में 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं.


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