Hindu Leader Chinmoy Krishna Das: बांग्लादेश के एक प्रमुख वकील रवींद्र घोष ने सोमवार (16 दिसंबर 2024) को दावा किया कि जेल में बंद हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास का केस लड़ने के फैसले के बाद से उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, लेकिन उन्होंने कसम खाई कि वह न्याय और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.
उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चिन्मय दास को निशाना बना रही है क्योंकि वह हिंदुओं पर अत्याचारों के खिलाफ मुखर रहे हैं और सताए गए अल्पसंख्यक समुदाय को एकजुट कर रहे हैं.
बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के 74 साल वकील ने समाचार एजेंसी पीटीआई को टेलीफोन पर दिए साक्षात्कार में बताया, "मुझे पता है कि मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा सकते हैं, लेकिन इससे मैं नहीं रुकूंगा. मैंने जीवन भर अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. मैंने मुसलमानों के लिए भी मुकदमे लड़े हैं और उन्हें न्याय दिलाने में मदद की है. एक दिन मौत आएगी ही, लेकिन मैं लड़ाई जारी रखूंगा."
'बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के सिद्धांतों को किया जा रहा है नजरअंदाज'
रवींद्र घोष ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिंदू अल्पसंख्यकों की ओर से निभाई गई भूमिका पर रोशनी डालते हुए दुख जताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चल रहे अत्याचार मुक्ति संग्राम के "मूल सिद्धांतों" को नजरअंदाज करते हैं, जो पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के नागरिकों के साथ असमान व्यवहार को खत्म करने के लिए लड़ा गया था.
कोलकाता के पास बैरकपुर से बोलते हुए घोष ने कहा, "जिस दिन से मैंने घोषणा की है कि मैं चिन्मय कृष्ण दास के लिए लड़ूंगा, मुझे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. मुझे नियमित रूप से धमकी भरे कॉल और मैसेज मिलते हैं, लेकिन यह मुझे अपना कर्तव्य निभाने से नहीं रोकेगा. मैं दास और अन्य हिंदुओं के साथ हुए अन्याय के खिलाफ़ लड़ना जारी रखूंगा."
झूठे आरोप में फंसाने का आरोप
बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास को इस महीने की शुरुआत में ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था, जब वे एक रैली के लिए चटगांव जा रहे थे. इसके बाद उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया. चिन्मय दास को बांग्लादेशी अदालत ने 2 जनवरी तक जेल भेज दिया है. घोष का मानना है कि हिंदू समुदाय को एकजुट करने के उनकी कोशिशों की वजह से उनको झूठे आरोपों में फंसाया गया है.
रवींद्र घोष ने कहा, "भिक्षु की बड़ी सार्वजनिक सभाओं ने प्रशासन को परेशान कर दिया. यही कारण है कि कट्टरपंथियों और अंतरिम सरकार ने उन्हें निशाना बनाया. एक दिन मौत आएगी, लेकिन मैं लड़ाई जारी रखूंगा."
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