वॉशिंगटन: अमेरिकी में एक नए अध्ययन में एक बड़ी जानकारी सामने आई है. इसके मुताबिक यूनिवर्सिटी की डिग्री के आधार पर हिंदू अमेरिका में सबसे ज़्यादा पढ़ा-लिखा धार्मिक तबका है. पीयू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए इस अध्ययन में चार साल की डिग्री को इस बात को तय करने का पैमाना माना गया है. इसके पीछे ये तर्क दिया गया है कि अमेरिका में आर्थिक सफलता के लिए चार साल की डिग्री को सबसे अहम कारक माना जाता है.


77% के साथ कॉलेज की डिग्री वाले लोगों के मामले में सबसे बड़ी हिस्सेदारी हिंदुओं की है. अमेरिका में  यूनिटेरियन नाम का एक और समूह है जिसके मुताबिक उसका किसी धर्म से सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं है और वो विभिन्न धर्मों के धार्मिक ग्रंथों में अपनी आस्था रखता है. ये समूह धार्मिक आधार पर अमेरिका में सबसे शिक्षित होने के मामले में दूसरे नंबर पर है. यहूदियों और एंग्लिकन चर्च के अनुयायी 59% के साथ संयुक्त रूप से तीसरे नंबर पर हैं और एपिस्कोपल चर्च 56% के साथ टॉप पांच में है.


नास्तिक और (एगनॉस्टिक) अज्ञेयवादी 43% और 42% के साथ तीसरे और चौथे नंबर पर हैं. वहीं, 39% के साथ मुसलमान और 26% के साथ कैथोलिक पांचवें और छठे नंबर पर हैं. अमेरिका अपनी जनसंख्या की धर्म आधारित आधिकारिक जनगणना नहीं करता है. लेकिन प्यू द्वारा 2014 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक अमेरिका की 325 मिलियन की आबादी का 0.7% हिस्सा हिंदू हैं. कुछ और अनुमानों के मुताबिक ये संख्या 2 मिलियन से 3 मिलियन के करीब है.


वैसे तो अमेरिका में बड़ी संख्या में हिंदू भारतीय मूल के हैं लेकिन यहां भारत के अलावा ऐसे भी हिंदू हैं जो अफ्रीका और कैरिबियन के प्रवासी हैं, वही तुलसी गबार्ड जैसे हिंदू भी हैं जो हवाई से अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की सदस्य हैं. अमेरिका में भारतीय समुदाय ने मोटे तौर पर सबसे धनी और सबसे शिक्षित तबके के रूप में अपनी पहचान बनाई है और इसका सबसे बड़ा हिस्सा हिंदुओं का है.


प्यू के रिसर्च ने हिंदुओं और यहूदियों के बीच शिक्षा के उच्च स्तर के सहारे ये बताने की कोशिश की है कि इसी वजह से वो देश में सबसे अमीर भी हैं. इसने 2014 के अपने अध्ययन का हवाला देते हुए कहा, "शिक्षा और आर्थिक सफलता के बीच मजबूत संबंध को देखते हुए ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यहूदी और हिंदू अमेरिका में आर्थिक रूप से सबसे प्रतिष्ठित तबके हैं."


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