Hinglaj Temple: पाकिस्तान में कौन हैं हिंगलाज माता? दर्शन के लिए चट्टानों और मड वोलकेनो को पार कर दर्शन के लिए पहुंचते हैं पूरे देश के हिंदू
Hindu Temple in Pakistan: मड वोलकेनो में श्रद्धालू पहले नारियल और फूल चढ़ाते हैं. जब नारियल ऊपर आ जाता है तो इसे भक्त मां हिंगलाज का आशीर्वादरूपी संकेत मानकर माता के दर्शन के लिए यात्रा शुरू करते हैं.
Hinglaj Temple in Pakistan: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासबेला जिले में स्थित हिंगलाज माता मंदिर की तीर्थयात्रा बीते शुक्रवार (26 अप्रैल, 2024) को शुरू हुई और रविवार (28 अप्रैल, 2024) को समाप्त हुई. इस तीन दिन की तीर्थयात्रा के दौरान तीर्थयात्री मीलों की पैदल यात्रा करके पहले मड वोलकेनो पहुंचते हैं और फिर यहां से हिंगलाज मंदिर के लिए जाते हैं. यात्रा के लिए देशभर से लाखों हिंदू मनोकामना लेकर यहां पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब माता सती की मृत्यु के बाद शिव उनके शरीर को हाथों में लिए दुख में पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे तब माता सती के अंग अलग-अलग स्थानों पर गिरे थे और उन स्थानों को हिंदू शक्तिपीठ मानते हैं. हिंगलाज माता मंदिर को लेकर भी ऐसी मान्यता है कि यहां माता सती का सिर गिरा था.
बलूचिस्तान प्रांत में हिंगलाज माता मंदिर हिंगोल नदी के तट स्थित है. हिंगोल नदी में स्नान करने को गंगा नदी में स्नान के बराबर ही पवित्र माना जाता है. हिंगलाज माता मंदिर मकरान की खेरथार पहाड़ियों की श्रंखला के अंत में स्थित है. यह मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में है, जिसके दर्शन के लिए लोग आते हैं. मंदिर में कोई मानव निर्मित मूर्ति नहीं है, बल्कि एक छोटी शिला के रूप में हिंगलाज माता की श्रद्धालू पूजा करते हैं.
जय माता दी और जय शिव शंकर के जयकारों से गूंज उठता है पूरा रास्ता
सिंध, कराची और हैदराबाद समेत पूरे पाकिस्तान से हिंदू श्रद्धालू जब हिंगलाज माता मंदिर के दर्शन को जाते हैं तो पहले उन्हें मकरान कोस्टल हाइवे से मड वोलकेनो तक कुछ किलोमीटर पैदल चलना होता है और फिर वह चट्टानों पर चढ़ाई करके वोलकेनो तक पहुंचते हैं. यहां नारियल और फूल की पत्तियां चढ़ाकर माता के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद हिंगलाज माता मंदिर की यात्रा के लिए निकलते हैं. यहां से हिंगलाजा माता मंदिर 45 किलोमीटर दूर है. यह पूरा रास्ता जय माता दी और जय शिव शंकर के जयकारों से गूंज उठता है.
मड वोलकेनो का क्या है महत्व?
इस मड वेल्कोने को चंद्रगुप्त मिट्टी का वोलकेनो भी कहते हैं. यहां बीच में गीली मिट्टी रहती है और पानी भी होता है. जब श्रद्धालू यहां पहुंचते हैं तो वह नारियल और फूल चढ़ाते हैं. श्रद्धालू ऐसा मानते हैं कि जब नारियल ऊपर आता है तो यह मां हिंगलाज की ओर से आशीर्वादरूपी संकेत मिल जाता है कि उनकी प्रार्थना स्वीकार हो चुकी है और अब वह माता के दर्शन के लिए आ सकते हैं.
सिर्फ पाकिस्तानी हिंदू ही कर सकते हैं हिंगलाज माता मंदिर के दर्शन?
हिंगलाज माता मंदिर के जनरल सेक्रेटरी वरसीमल दिवानी ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि मंदिर में सिर्फ पाकिस्तानी हिंदू ही दर्शन कर सकते हैं. उनका कहना है कि हिंगलाज माता मंदिर के दर्शन के लिए पाकिस्तान सरकार को दुनियाभर के हिंदुओं के लिए भी सुविधा शुरू करनी चाहिए.
वरसीमल ने कहा, 'हम पवित्र तीर्थ स्थल के दर्शन अपने देश में जब इच्छा हो तब कर सकते हैं, लेकिन दुनियाभर के हिंदुओं के लिए ऐसा नहीं है. मेरी इच्छा है कि पाकिस्तान सरकार दूसरे देशों के हिंदुओं के लिए भी वीजा जारी करें ताकि वो हिंगलाज माता मंदिर के दर्शन के लिए आ सकें और माता का आशीर्वाद ग्रहण कर सकें. यह कदम दोनों देशों के लोगों के बीच रिश्ते रिश्ते कायम करने और देश की अच्छी अर्थव्यवस्था में मदद करेगा.