हांगकांग: दुनिया के मुद्दों पर दखल देने वाला चीन अपने घर में घिर गया है, लोकतांत्रिक अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर हांगकांग में बीती रात प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई. हांगकांग में महीनों से चले प्रदर्शन के बाद आंदोलन और भी ज्यादा हिंसक और खतरनाक होता दिखाई दे रहा है. हांगकांग की पॉलिटेकनिक यूनीवर्सिटी के बाहर का इलाका किसी जंग के मैदान से कम नजर नहीं आ रहा है. एक तरफ हांगकांग के विद्रोही छात्र हैं, तो दूसरी तरफ चीन की ताकतवर पुलिस. एक तरफ पेट्रोल बम हैं तो दूसरी तरफ पानी की बौछारें.
विद्रोहियों और पुलिस में इस कदर टकराव हुआ कि हांगकांग की सड़कों पर किसी जंग जैसे हालात पैदा हो गए. एक कानून में बदलाव की कोशिश के खिलाफ उपजा गुस्सा अब हॉन्गकॉन्ग की आजादी की मांग तक जा पहुंचा है.
प्रदर्शनकारियों की दो प्रमुख मांगे हैं..
हांगकांग के लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार दिए जाएं
हांगकांग के चीफ एग्जीक्यूटिव का इस्तीफा हो
चीन के खिलाफ विद्रोह की वजह चीन की दमनकारी नीतियां हैं. आजाद ख्याल हांगकांग पर चीन ने पाबंदियां लगाने की कोशिश की तो हांगकांग में आंदोलन की कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आने लगी. प्रदर्शनकारियों ने पॉलिटेकनिक यूनीवर्सिटी के पास से गुजरने वाली सड़कों पर ईंटें बिछा दी है ताकि पुलिस को कैंपस में आने से रोका जा सके. छात्र कैंपस में बने टेंटों में सो रहे हैं और मुकाबले के लिए तीर धनुष की प्रैक्टिस कर रहे हैं. कैंपस में ही पेट्रोल बम बनाए जा रहे हैं. पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी से पुलिस कुछ छात्रों को उठा कर ले गई है लेकिन अभी भी भारी संख्या में छात्र डटे हुए हैं.
हालात इतने बिगड़ गए हैं कि पुलिस ने जब यूनिवर्सिटी के अंदर घुसने की कोशिश की तो उग्र छात्रों ने पुलिस पर पेट्रोल बम से हमला कर दिया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की तेज बौछारों का सहारा लिया तो छात्रों ने हेलमेट और छातों को अपना सुरक्षा कवच बना लिया.
सभी स्कूलों को बंद रखने की घोषणा
हांगकांग के एजुकेशन ब्यूरो ने रविवार को पॉलिटेक्निक विश्वविद्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से सोमवार को सभी स्कूलों को बंद रखने की घोषणा की है. साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में परिवहन अव्यवस्था के कारण 14 और 15 नवंबर को स्कूलों को आधिकारिक तौर पर बंद रखा गया था. हालांकि कई लोगों ने बीते सप्ताह की शुरुआत में ही बंद करने का विकल्प चुना था.
वहीं, लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए ब्यूरो ने किंडरगार्डेन, प्राईमरी स्कूलों और सेकेंडरी स्कूलों और विशेष स्कूलों को एक और दिन बंद रखने का निर्णय लिया.
आंदोलन की वजह क्या है?
हांगकांग करीब 150 साल तक ब्रिटेन का उपनिवेश रहा है.1984 मे एक डील हुई जिसके तहत 1997 में ब्रिटेन ने हॉन्गकॉन्ग को चीन को सौंप दिया.उस डील के तहत हॉन्गकॉन्ग के लिए एक देश-दो सिस्टम की व्यवस्था दी गई. 50 साल तक यानी 2047 तक हांगकांग विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्त राज्य रहेगा. इसी डील के तहत हॉन्गकॉन्ग में अपना कानून है, अपनी सीमायें हैं और नागरिक स्वतंत्रता है. अब चीन यहां के नागरिकों को मिले स्वतंत्रता के अधिकार को कुचलना चाहता है इसलिए हंगामा मचा हुआ है.
क्या है प्रत्यर्पण कानून?
हांगकांग के प्रत्यर्पण कानून के मुताबिक दुनिया के कई देशों के साथ कोई समझौता नहीं है. इस कारण अगर कोई व्यक्ति अपराध कर हांगकांग पहुंच जाता है तो उसे प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता. चीन भी ऐसे देशों में शामिल है. लेकिन, अब हांगकांग की सरकार इस मौजूदा कानून में संशोधन करना चाहती है. इसके बाद लोगों को चीन, ताइवान और मकाऊ भी प्रत्यर्पित किया जा सकेगा.
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