Houthi Missile Strike In Red Sea: लाल सागर में चल रही जंग के बीच हूती विद्रोहियों ने शनिवार (27 जनवरी) को रूसी शिप को निशाना बनाया. उन्होंने मर्लिन लुआंडा पर मिसाइल से हमला किया. जिसके चलते शिप के कार्गो टैंक में आग लग गई. इस हमले के दौरान तेल लेकर भारत आ रहा रूसी टैंकर बाल-बाल बच गया.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले से पहले हूती विद्रोही रूसी जहाजों और कार्गो शिप पर हमला करने से बचते रहे हैं. इस वजह से भारतीय बंदरगाहों के लिए तेल ले जाने वाले रूसी जहाजों ने स्वेज कैनाल और लाल सागर के बीच का छोटा समुद्री मार्ग चुना.
भारत को व्यापार करने में हो सकती है मुश्किल
लाल सागर में चल रही इस जंग से वर्ल्ड ट्रेड में काफी मुश्किल हो रही है. इस हमले के बाद से भारत को व्यापार करने में काफी नुकसान हो सकता है. भारत आने वाले रूसी जाहजों की ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ सकती है. ग्लोबल ट्रेड इंटेलिजेंस फर्म केप्लर के मुख्य क्रूड विश्लेषक विक्टर कटोना ने कहा, "अब तक, यह मौन समझौता रहा है कि हूती विद्रोही रूसी और सऊदी टैंकरों पर हमला नहीं करते थे." उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमला ट्रैफिगुरा की ओर से ऑपरेट किया गया था. जिस वजह से वह हमला करने के लिए प्रेरित हुए.
बाल-बाल बची भारत आ रही अकिलिस शिप
हमले के दौरान भारत आ रही अकिलिस शिप उस समय बाल-बाल बची, जब मिसाइल उससे करीब 1 मील से भी कम दूरी पर गिरी. हमले के बाद भी शिप सिग्नल भेज रहा था, जिससे पता चल रहा था कि वह सुरक्षित है. करीब 50 से 55 टैंकर यूराल क्रूड यूरोप से भारत लाते हैं. बाकी 8 से 10 टैंकर ईंधन तेल लेकर हर महीने जामनगर बंदरगाह आते हैं. 80 प्रतिशत रूसी कोयला भारत में स्वेज नहर के रास्ते आता है. इसके अलावा करीब पांच से छह टैंकर सूरजमुखी तेल भी इसी नहर के जरिये यहां पहुंचता है.
'रणनीति बदलने की जरूरत'
कटोना ने कहा कि अभी तक रूस ही एकमात्र ऐसा सप्लायर रहा है, जिसने स्वेज नहर के माध्यम से आपूर्ति जारी रखी है. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि उन्हें अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है. अगर रूस लंबे मार्ग से तेल और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति करता है, तो इससे परिवहन लागत बढ़ सकती है.
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