वॉशिंगटन: आज अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. दुनिया की सबसे शक्तिशाली मिलिट्री, सबसे महंगी इंटरनेशनल करेंसी अमेरिका की ही है. लेकिन अमेरिका शुरू से ही ऐसा नहीं था. एक समय ऐसा भी था, जब ये देश भी गरीबी और गुलामी में जी रहा था. साल 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी, लेकिन असल में 1898 में अमेरिका-स्पेन के बीच युद्ध के बाद अमेरिका सुपरपावर बना.
अमेरिका की खोज के बाद यूरोपीय देशों में यहां अपना कब्जा करने की होड़ लग गई. अंत में भारत की तरह अमेरिका को भी इंग्लैंड ने अपना गुलाम बना लिया. इंग्लैंड ने अमेरिका का बुरी तरह शोषण किया. करीब 250 सालों बाद अमेरिका को इंग्लैंड से आजादी मिली, जब 4 जुलाई 1776 को जॉर्ज वॉशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने. यहां से अमेरिका ने खुद को सुपरपावर बनाने की शुरुआत की. 19वीं सदी के अंत तक अमेरिका ने अपनी सीमाओं का विस्तार जारी रखा.
अमेरिका-स्पेन युद्ध
सीमा विस्तार के लिए अमेरिका ने कई युद्ध लड़े. क्यूबा पर 1898 में स्पेन के साथ युद्ध हुआ, जिसमें अमेरिका की जीत हुई. इस जीत के बाद स्पेन ने अमेरिका को प्योर्टो रिको और प्रशांत महासागर का एक दीप फिलीपीन्स सौंप दिया. इसके बाद से अमेरिका सुपरपावर देश कहलाने लगा. प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध में भी अमेरिका की अहम भूमिका रही.
द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और जर्मनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन अमेरिका को उतना नुकसान नहीं हुआ. युद्ध में जर्मनी बुरी तरह हार गया, जिसके बाद उसने अपनी सारी टेक्नोलॉजी और स्पेस प्रोग्राम अमेरिका को सौंप दिए. अमेरिका ने स्पेस टेक्नोलॉजी का अच्छे से इस्तेमाल किया. चांद पर सबसे पहले पहुंचकर अमेरिका ने साबित कर दिया कि असल में वही सुपरपावर है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूनाइटेड नेशंस स्थापना हुई. यहां सुरक्षा परिषद के गठन में भी अमेरिका की अहम भूमिका रही.
ये भी पढ़ें-
जब अपनी जान बचाने के लिए कोलंबस ने लिया था चंद्र ग्रहण का सहारा, जानिए- रोचक किस्सा
बाइडेन ने अमेरिका के राष्ट्रपति और कमला हैरिस ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली