Families of Gambia Cough Syrup Victims: गांबिया (Gambia) में कथित दूषित कफ सिरप (Contaminated Cough Syrups) के कारण जान गंवाने वाले बच्चों के परिवारों (Gambia Families of Victims) में भारत (India) की दवा कंपनी मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (Maiden Pharmaceuticals Ltd) को लेकर गुस्सा है. कुछ परिवार कंपनी पर कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं. एक परिवार ने कहा कि कोई कंपनी दूषित दवा कैसे बेच सकती है, यह हत्या है. दरअसल, गांबिया में किडनी की समस्याओं के चलते हाल में 69 बच्चों की मौत हो गई लेकिन उनकी मौत को भारत में निर्मित कफ सिरप से जोड़कर देखा जा रहा है.


हरियाणा आधारित मेडन फॉर्मास्युटिकल्स लिमिटेड पर आरोप है कि उसने दूषित दवाएं गांबिया के बाजार में उतारीं, जिनका सेवन करके बच्चों की मौत हो गई. पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मेडन फार्मा की ओर से बनाए गए कफ सिरप को लेकर मेडिकल अलर्ट जारी किया था. वहीं, भारत सरकार और राज्य सरकार ने भी कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं. पिछले दिनों जांच के चलते हरियाणा के सोनीपत में मेडन फार्मा के प्रोडक्शन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई. अब तक की जांच में सामने आया है कि कंपनी ने एक्सपायरी डेट वाले पदार्थ का इस्तेमाल दवा बनाने में किया था.


डेढ़ साल के बच्चे को खोने वाले पिता ने बयां किया दर्ज


इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गांबिया के पीड़ित परिवारों ने अपनी व्यथा और नाराजगी जताई. 69 बच्चों में दो साल पांच महीने का मासूम मोहम्मद लामिन किजेरा और एक साल सात महीने का बच्चा मूसा भी शामिल था, जिनकी अचानक किडनी आघात के चलते मौत हो गई. इन बच्चों ने भी मेडन फार्मा के कफ सिरप का सेवन किया था. बच्चे को खोने वाले कमासो नाम के शख्स ने, ''मुझे समस्या के बारे में तब पता चला जब एक पुलिसवाले में आकर मूसा की मौत के बारे में पूछा. एक कंपनी खराब दवाएं कैसे बेच सकती है? उन्हें दवाओं को बाजार में उतारने से पहले अच्छे तरह से परीक्षण कर लेना चाहिए था. यह हत्या है!''


मूसा, कमासो की पांच संतानों- चार बेटे और एक बेटी में सबसे छोटा था. पिछले 1 सितंबर को उसका निधन हो गया था. मूसा की मौत के वक्त तक गांबिया के अस्पतालों में किडनी से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ चुकी थी. बच्चों की किडनी समस्या के लिए बुखार, खांसी और सर्दी के लिए निर्धारित मेडन फार्मा के कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया जाने लगा था. 


अस्पताल ने प्राइवेट फार्मेसी की दवाएं लिखीं


कमासो ने बताया कि मूसा को अगस्त के आखिरी हफ्ते में बुखार आया था. उसे जब पास के अस्पताल में ले जाया गया तो डॉक्टरों ने मलेरिया बताया. उन्होंने ऐसी दवाएं लिखीं जो बाहर के मेडिकल स्टोर पर मिलीं. प्राइवेट फार्मेसी से दवाएं खरीदी गईं. इसके चार दिन बाद मूसा की पेशाब रुक गई. उसे डायरिया और वोमिटिंग की समस्या भी हो गई. शनिवार की सुबह जब उसे अस्पताल लाया गया तो वहां से उसे एक बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया. 


बांजुल में छोटा सा व्यापार चलाने वाले कमासो ने कहा कि डॉक्टर पता नहीं लगा पा रहे थे कि समस्या क्या है. आखिरकार घर से करीब आधे घंटे की दूरी पर एडवर्ड फ्रांसिस स्मॉल टीचिंग अस्पताल में मूसा को भर्ती कराया गया. टेस्ट में पता चला कि बच्चे की किडनी फेल हो गई थी. डॉक्टरों ने मूसा को डायलिसिस पर रखा लेकिन उसकी हालत बिगड़ती चली गई. टालिंगडिन में टिन की छत वाले घर में बैठे कमासो ने बताया, ''मैंने उसकी मां को बुलाया और कहा कि बुरे परिणाम के लिए तैयार रहे.'' पीछे एक लाल रंग की बाइक खड़ी थी, जो मूसा की फेवरेट थी. 


ढाई साल के लामिन की ऐसे गई जान


चार किलोमीटर की दूरी पर किजेरा परिवार रहता है. दो साल पांच महीने के मासूम मोहम्मद लामिन किजेरा को खोने वाले उसके पिता एलियू किजेरा ने बताया कि जुलाई के आखिर तक बच्चे को नियमित लो ग्रेड बुखार आने लगा था. पहले भी एक बार ऐसा हुआ था. लामिन को पास के अस्पताल में दिखाया तो वहां से उसे एक सिरप और कुछ दवाएं लेने के लिए कहा गया. शाम के पांच बजे तक बच्चे की हालत बिगड़ चुकी थी. कुछ दिनों बाद, 4 अगस्त को लगभग ढाई साल के लामिन की मौत हो गई. 


गांबिया के शहर लात्रीकुंडा में रहने वाले किजेरा एक स्थानीय अस्पताल में नर्स का काम करते हैं. किजेरा ने बताया कि उसी दिन शाम पांच बजे तक हालत बिगड़ने के बाद लामिन को फिर से अस्पताल ले जाया गया था, जहां उसे बोतल चढ़ा दी गई. बच्चे को आराम मिलने पर उसे घर लाया गया. लामिन अगले कुछ दिनों तक ठीक रहा लेकिन एक दिन उसकी पेशाब रुक गई. उसे फिर से अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसका किडनी टेस्ट कराने की बात कही. 


पहले पांच केस में शामिल था लामिन


किजेरा मुताबिक, टेस्ट के बाद डॉक्टरों ने बताया कि लामिन की किडनी को क्षति पहुंची है और उसे डायलिसिस किया जाएगा. डॉक्टरों ने बच्चे को देश के सबसे बड़े अस्पताल एडवर्ड फ्रांसिस स्मॉल टीचिंग हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया, जो कि गांबिया की राजधानी बांजुल में है. वहां भी बच्चे की हालत बिगड़ने पर उसे पड़ोसी राजधानी सेनेगल के दाकार के अस्पताल में रेफर कर दिया गया. बच्चे को इमरजेंसी डायलिसिस प्रोसीजर से गुजारा गया लेकिन एक हफ्ते बाद उसकी मौत हो गई. 


घर की दीवार पर दो बड़ी बहनों के साथ लामिन की तस्वीर टंगी है, भूरे सोफे पर बैठ हुए किजेरा ने कहा, ''मेरा बेटा देश में किडनी समस्या के पहले पांच मामलों में से एक था. उस समय डॉक्टरों को पता नहीं था क्या हो रहा है. लामिन की तरह चार में से जिन तीन और बच्चों को बांजुल के अस्पताल में रेफर किया गया था, उनकी हमारे सामने मौत हो गई.'' लामिन, मूसा और अन्य ऐसे ही जान गंवाने वाले बच्चों के परिवारों ने एक व्हॉट्सऐप ग्रुप बनाया है और हरियाणा की कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज करने की योजना बना रहे हैं.


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