जलवायु संकट दुनिया भर की झीलों के ऑक्सीजन लेवल में व्यापक गिरावट का कारण बन रहा है, जिससे वन्यजीवों का दम घुट रहा है और पीने के पानी की आपूर्ति का खतरा पैदा हो रहा है. महासागर में ऑक्सीजन के गिरते लेवल की पहले ही पहचान हो चुकी थी, लेकिन नई रिसर्च के मुताबिक, झीलों में गिरावट पिछले 40 वर्षों में तीन और नौ गुना के बीच तेज रही है.


जलवायु संकट झीलों के ऑक्सीजन लेवल में कमी का कारण


वैज्ञानिकों ने पाया कि ऑक्सीजन लेवल गहरे पाने में 19 फीसद और सतह पर 5 फीसद तक गिर चुके थे. ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा तापमान इसका मुख्य कारण है, क्योंकि गर्म पानी ज्यादा ऑक्सीजन नहीं रख सकता. उसके अलावा, बढ़ती  गर्मी नीचे के पानी की तुलना में झीलों की ऊपरी सतह को ज्यादा गर्म और कम घना करती है. शोधकर्ताओं ने ऊपरी तह का पानी और गहरे जल स्तर के साथ-साथ घुलित ऑक्सीजन के घनत्व यानी जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण गैस की जांच की.


उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन में असंतुलन का वनस्पति और जीवों की जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. कुछ झीलों की सतह पर ऑक्सीजन लेवल बढ़ा है. लेकिन ये हानिकारक शैवाल से प्रेरित अधिक तापमान के कारण होने की संभावना है. पत्रिका नेचर में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, डीऑक्सीजनेशन से हानिकारक शैवालों का प्रसार जानवर और मानव सेहत दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है. इस रिसर्च से पहले इस घटना का केवल समुद्र में अध्ययन किया गया था, लेकिन नतीजे बताते हैं कि मानवरूपी जलयावु परिवर्तन झील के पारिस्थितिकी तंत्र को उसी तरह विनाशकारी तरीके से प्रभावित कर सकता है.


असंतुलन से वनस्पति और जीवों की जैव विविधता पर असर


अमेरिका के एक शोधकर्ता प्रोफेसर केविन रोज का कहना है कि सभी जटिल जीवन की निर्भरता ऑक्सीजन पर है और, जब ऑक्सीजन लेवल कम होता है, तो कई अलग-अलग प्रजातियों के लिए आप वास्तव में निवास स्थान को कम करते हैं. उन्होंने बताया कि ये रिसर्च साबित करता है कि समस्या ताजा पानी में और भी गंभीर है, जिससे हमारे पीने के पानी की आपूर्ति का खतरा पैदा हो गया है. रिसर्च में पाया गया कि गहरे पानी वाले झील के आवास को विशेष तौर पर खतरा है, और गहरे पाने के रुझान ठंडे पानी और ऑक्सीजन के प्रति संवेदनशील प्रजातियों के भवियष्य में नुकसान का संकेत देते हें. 1970 से वन्यजीव आबादी की 84 फीसद गिरावट से उन्हें पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है.


ग्लोबल वार्मिंग और जनसंख्या के अलावा, कारणों में कृषि के लिए पानी का अधिक इस्तेमाल शामिल है. रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने दुनिया के 400 झीलों से संग्रहीत 45 हजार घुलित ऑक्सीजन और तापमान के पोर्टफोलियो का विश्लेषण किया. उन्होंने पाया कि झीलों में ऑक्सीजन लेवल गिरकर करीब इतना कम हो गया कि फॉस्फोरस को तलछट से निकाला जा सकता है, जिससे बैक्टीरिया को आवश्यक पोषक तत्व मिलता है. वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु संकट से निपटने के लिए उत्सर्जन में कटौती के साथ-साथ कृषि उर्वरक के इस्तेाल और शहरी सीवेज प्रदूषण में कटौती आवश्यक है क्योंकि ये झीलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.


भारत का सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म Koo अब नाइजीरिया में भी है उपलब्ध, ट्विटर की जगह लेने को तैयार


गूगल, फेसबुक जैसी टेक्नोलॉजी कंपनियों पर 15 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला, G-7 देशों के बीच हुआ ऐतिहासिक करार