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अमेरिका में H-1 वीजा विवाद ने कट्टरपंथी लेफ्ट और राइट विंग के लोगों को कैसे किया एकजुट? जानें

US H-1 Visa Programme Debate: अमेरिका में एच-1 वीजा प्रोग्राम को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है. बर्नी सैंडर्स का कहना है कि विदेशों से सस्ते वर्कर्स न लेकर अमेरिकी वर्कर्स पर ध्यान देना चाहिए.

H-1 Visa Debate: अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले एच-1 वीजा को लेकर बहस छिड़ी हुई है, जिसने कट्टरपंथी लेफ्ट और राइट विंग को एकजुट कर दिया है. हाई प्रोफेशनल्स को दिए जाने वाले इस वीजा का मुख्य रूप से भारतीय लाभ उठाते हैं. इस बीच वर्मोंट के सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने एच-1बी वीजा पर छिड़े विवाद को और तूल देते हुए एलन मस्क पर आरोप लगाया है कि वे केवल इसलिए वीजा प्रोग्राम का सपोर्ट कर रहे हैं, क्योंकि ये स्किल्ड वर्कर्स के बजाय चीप लेबर उपलब्ध कराता है.

उन्होंने कहा, "वे जितने चीप लेबर हायर करेंगे, अरबपति उतना ही अधिक धन कमाएंगे." सैंडर्स ने तर्क दिया, "एच-1बी वीजा प्रोग्राम का मुख्य काम 'सर्वोत्तम और प्रतिभाशाली' लोगों को नियुक्त करना नहीं है, बल्कि अच्छे वेतन वाले अमेरिकन जॉब्स को विदेशों से कम वेतन वाले बंधुआ नौकरों से बदलना है."

सैंडर्स ने ध्वस्त किया मस्क का दावा

एक तरफ एलन मस्क ने इस बात का खंडन किया है कि विदेश से आने वाली लेबर ज्यादा स्किल्ड होती है, लेकिन सैंडर्स ने इस दावे को चुनौती दी और कहा कि टेस्ला ने 7,500 से अधिक अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जबकि हजारों एच-1बी वीजा वाले वर्कर्स को काम पर रखा. सैंडर्स ने इन नौकरियों के नेचर पर सवाल उठाते हुए कहा कि टेस्ला ने एच-1बी कर्मचारियों को अपेक्षाकृत कम वेतन पर एसोसिएट अकाउंटेंट, मैकेनिकल इंजीनियर और मटेरियल प्लानर के तौर पर नियुक्त किया.

पिछले कुछ दिनों से एच-1बी वीजा प्रोग्राम को लेकर एमएजीए क्लब में गहरी दरार पड़ गई है, जिसमें दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता लॉरा लूमर और ट्रंप के कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस रणनीतिकार स्टीव बैनन ने अमेरिकी वर्कर्स को प्राथमिकता न देने को लेकर कार्यक्रम की आलोचना की. बैनन ने यहां तक ​​कह दिया, "अपने पहले हफ्ते में ही मंच पर मत जाओ और लोगों को यह बताना शुरू मत करो कि चीजें किस तरह होने वाली हैं. अगर तुम ऐसा करने जा रहे हो तो हम तुम्हारा चेहरा बिगाड़ देंगे."

एलन मस्क ने किया प्रोग्राम का बचाव

हाल ही में एक पोस्ट में मस्क ने सोशल मीडिया पर एच-1बी वीजा कार्यक्रम का बचाव करते हुए कहा, "मैं उन अनेक महत्वपूर्ण लोगों के साथ अमेरिका में हूं, जिन्होंने स्पेसएक्स, टेस्ला और सैकड़ों अन्य कंपनियां बनाईं, जिन्होंने अमेरिका को मजबूत बनाया, इसका कारण एच1बी है." उन्होंने ये भी कहा, "मैं इस मुद्दे पर युद्ध करूंगा, जिसे आप संभवतः समझ नहीं सकते."

सैंडर्स ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका को बेहद ही कुश और सुशिक्षित कार्यबल की जरूरत है, लेकिन इसे योग्य अमेरिकी वर्कर्स को काम पर रखकर और शिक्षा में निवेश करके हासिल किया जाना चाहिए, न कि विदेशों से सस्ते वर्कर्स पर निर्भर रहना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा, "बॉटम लाइन यह है कि किसी निगम के लिए किसी अमेरिकी कर्मचारी की तुलना में विदेश से अतिथि कर्मचारी को काम पर रखना कभी भी सस्ता नहीं होना चाहिए."

एच-1 वीजा को लेकर क्यों है विवाद?

एच-1बी वीजा प्रोग्राम कंपनी वालों को टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और फाइनेंस जैसे स्पेशल बिजनेस में विदेशी नागरिकों को नियुक्त करने की इजाजत देता है. हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि इस प्रोग्राम से अक्सर अमेरिकी वर्कर्स को नियुक्त करने के बजाय सस्ते विदेशी वर्क्रस को नियुक्त करने के लिए शोषण किया जाता है.

इस प्रोग्राम पर डिबेट ने डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगियों के बीच गहरे मतभेदों को उजागर किया है, जहां कुछ लोग एच-1बी वीजा प्रोग्राम को टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के लिए जरूरी मानते हैं, जबकि अन्य इसे अमेरिकी नौकरियों के लिए खतरा मानते हैं. हालांकि खुद ट्रंप ने इस कार्यक्रम का समर्थन किया था.

ये भी पढ़ें: ट्रंप की शपथ से पहले क्या कोई बड़ा मैसेज लेकर भारत आ रहे अमेरिका के NSA

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