Khalistani Terrorist: भारत कनाडा के बीच उपजे तनाव के बाद सवाल उठ रहा है कि आतंकी गतिविधि में शामिल रहने के बाद भी हरदीप सिंह निज्जर कनाडा में कैसे खुलेआम घूम रहा था. इस सवाल के चलते कनाडा का आतंक पर रुख भी संदेह के घेरे में है. 


अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो माइकल रुबिन पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, "कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती की है. उन्होंने इस तरह से आरोप लगाए हैं जिनका वह समर्थन नहीं कर पाए हैं. कनाडा को यह बताने की जरूरत है कि उनकी सरकार एक आतंकवादी को क्यों पनाह दे रही थी, जिसके हाथ खून से सने थे."


2014 में निज्जर के खिलाफ जारी हुआ था रेड कॉर्नर नोटिस


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरपोल ने 2014 में निज्जर के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी किया था, इसके बावजूद कनाडा ने सिवाय नो फ्लाई लिस्ट में डालने के अलावा निज्जर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.


उसी साल अक्टूबर में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद जगतार सिंह तारा थाईलैंड में छिपा हुआ था और उसने मदद के लिए निज्जर को फोन किया था. उसके फोन के बाद निज्जर उसकी मदद के लिए खुद थाइलैंड गया था.


जगतार सिंह तारा को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में वापस भेज दिया गया, जबकि निज्जर भाग गया और जांच से बचने में कामयाब रहा क्योंकि उसके पास कनाडा की नागरिकता थी. नवंबर 2014 में जगतार सिंह तारा के प्रतिनिधि के तौर पर निज्जर बैंकॉक से पाकिस्तान गया. पाकिस्तान में उसे आईएसआई ने ट्रेनिंग दी थी. 


भारत में था वॉन्टेड


खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को भारत में हत्या और आतंकवाद की कई घटनाओं में वॉन्टेड घोषित किया गया था. 2018 की फरवरी में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जस्टिन ट्रूडो को मोस्ट वांटेड लिस्ट सौंपी थी. 


कैसी बना आंतकी संगठन?


हरदीप निज्जर ने अर्शदीप डल्ला के साथ मिलकर एक आतंकी गिरोह तैयार किया. इंडिया टुडे के मुताबिक, जांच में पता चला है कि निज्जर और अर्शदीप लोगों को कनाडा में वीजा, शानदार नौकरी और अच्छी कमाई के लालच के बदले आतंकी गतिविधियों में शामिल करते थे.


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