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Lunar Eclipse 2020: आज है चंद्र ग्रहण, जानें दुनिया भर से अब तक चांद पर भेजे जा चुके हैं कितने यान

आने वाले 5 जुलाई को चंद्रग्रहण लगने जा रहा है जो कि इस साल का लगने वाला तीसरा उपछाया चंद्रग्रहण है. लोगों में चंद्रग्रहण के साथ ही साथ चंद्रमा के बारे में भी जानने की इच्छा होती है. चंद्रमा के बारे में अनेकों प्रकार की जानकारियों को इकठ्ठा करने के लिए दुनिया भर से अनेकों मिशन/ यान चंद्रमा पर भेजे गये हैं.

Chandra Grahan 2020 Timing in India, Lunar Eclipse 2020: चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में यह भी एक सिद्धांत है कि चंद्रमा और पृथ्वी की उत्पत्ति एक साथ हुई है. जब दोनों की उत्पत्ति एक साथ हुई है तो पृथ्वी पर जीवन है लेकिन चांद पर नहीं. ऐसा क्यों? इसी तरह के अनेक प्रश्नों ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और खगोलविदों को चांद के रहस्यों के बारे में जानकारी करने के लिए मजबूर कर दिया. चांद के रहस्यों के बारे में जानकारी के लिए दुनिया भर से अनेक मिशन भेजे गए. आइए जानें अभी तक दुनिया भर से कितने मिशन चांद पर भेजे गए.

चांद के रहस्यों को पता लगाने के लिए चांद पर भेजे गए मिशन/ यान में अमेरिका, रूस और चीन का योगदान सर्वाधिक है. संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस ने चांद के रहस्यों का पता लगाने के लिए कई कार्यक्रम की शुरुआत की.

चांद पर रूस का मिशन

रूस ने अपना पहला यान लूना -1 चांद पर भेजा. उसके बाद रूस की ओर से भेजे गए लूना -2 मिशन को चांद तक पहुंचने में पहली बार सफलता मिली. यह मिशन 14 सितंबर 1959  को भेजा गया था. यह पहला एयरक्राफ्ट था जो चांद की सतह तक पहुंच पाया. इसके पहले भेजा गया मिशन सफल नहीं रहा. लूना-2 के बाद  रूस ने 1 नवंबर 1959 को लूना-3 का प्रक्षेपण किया.

रूस के युरी गागरिन 12 अप्रैल 1961 को अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले विश्व के पहले व्यक्ति बन गए थे.

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अमेरिका का मिशन

वैसे तो कई देशों द्वारा 1959 से 1963 तक चांद पर कई मिशन भेजे गए परन्तु इनमें से किसी को कुछ खास सफलता नहीं मिली. उसके बाद 30 जुलाई 1964 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा भेजे गए रेंजर -7 को चांद पर उतरने में सफलता मिली.

अमेरिका द्वारा अपोलो श्रृंखला की शुरुआत  

इसी दौरान अमेरिका द्वारा अपोलो कार्यक्रम भी शुरू किया गया था. अपोलो श्रृंखला की शुरुआत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 1961 में की. हालाँकि अपोलो श्रृंखला में सबसे बड़ी सफलता अपोलो-11 के दौरान उस समय मिली जब अमेरिका के नागरिक और अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग, बज़ एल्ड्रिन और माइकल कोलिंस जब चाँद पर पहुंचे और चाँद पर पहला कदम रखा. चाँद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग थे. उन्होंने 20 जुलाई 1969 को चन्द्रमा की धरती पर पहला कदम रखा और इसी के साथ चाँद पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बनें.

इसके बाद आमेरिका ने पांच और मिशन (अपोलो-12 से 16) चाँद पर भेजे गए. साल 1972 में चांद पर पहुंचने वाले यूजीन सेरनन आख़िरी अंतरिक्ष यात्री थे. उनके बाद अब तक कोई भी इंसान चांद पर नहीं गया है.

बाद में अपोलो श्रृंखला को और आगे बढ़ाया गया लेकिन धन की कमी के चलते अपोलो -17, 18, और 19 को रोक दिया गया.

 रूस के सोयुज-टी से भारत के राकेश शर्मा गए अंतरिक्ष

दूसरी तरफ  रूस द्वारा भी अंतरिक्ष यान भेजा जाता रहा. इसके द्वारा अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली श्रृंखला में लुना और सोयुज-टी रही. दो  अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भारत के राकेश शर्मा को सोयूज टी-11 में 2 अप्रैल 1984 को लॉन्च किया गया. इसी के साथ राकेश शर्मा अंतरिक्ष मे जाने वाले भारत के पहले और विश्व के 138वें व्यक्ति हुए.

साल 1972 के बाद से विभिन्न देशों द्वारा चाँद मिशन पर केवल यान भेजे जाते रहे हैं. जिसमें भारत का चंद्रयान – 2 अभी हाल ही में भेजा गया था.

भारत का अभियान: भारत ने अपना चाँद मिशन अपने पहले चंद्रयान-1 के साथ शुरू किया था. 22 अक्तूबर, 2008 को पहले चंद्र मिशन के तहत भारत ने चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था. उसके बाद भारत के इसरो का चंद्रयान-2, 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरना था परन्तु अंतिम क्षणों चंद्रयान -2 का संपर्क प्रक्षेपण केंद्र से टूट गया.

वे देश जिसने भेजे हैं चाँद पर मिशन: इस प्रकार देखें तो दुनिया भर के कई देशों ने चाँद के लिए कई मिशन प्रारंभ किये और कई यान भेजे गए जिसमें कुछ को सफलता मिली तो कुछ को असफलता. अभी तक देखा जाए तो केवल तीन देश – अमेरिका, रूस और चीन ही चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिग करा पाए हैं.

ये देश नहीं करा पाए चाँद पर साफ्ट लैंडिंग

भारत, जापान और यूरोपीय यूनियन ने इससे पहले चंद्रमा पर अपने मिशन भेजे हैं. लेकिन चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सके हैं.

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