सालाना हेनले पासपोर्ट इंडेक्स इंटरनेशनल एयर ट्रैवल एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक 199 देशों की ताकत वाले पासपोर्ट की रैंकिंग की गई है. फर्म की ये रिपोर्ट इस बात को बताती है कि किस देश के नागरिक कितने देश में वीजा फ्री घूम सकते हैं. इस लिस्ट में जापान ने पहला स्थान हासिल किया है. जापान के नागरिक 191 देशों में वीजा फ्री घूम सकते हैं. 


वहीं स्लोवाकिया, लिथुआनिया, और हंगरी ने 10वें स्थान पर जगह बनाई है. इन देशों का पासपोर्ट रखने वाले लोग 181 देशों में वीजा फ्री घूम सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि ऐसा क्यों है.  


जर्मन पासपोर्ट धारक बहुत आसानी से कंबोडिया जा सकते हैं. अगर उनका पासपोर्ट अगले छह महीने के लिए मान्य हो तो वे बर्लिन में कंबोडिया के दूतावास में 40 यूरो की वीजा फीस जमा कर आराम से 30 दिन का टूरिस्ट वीजा हासिल कर सकते हैं. उनके लिए यह सेवा ऑनलाइन भी मौजूद है. जर्मन नागरिक सीधे कंबोडिया पहुंच कर वहां एयरपोर्ट पर वीजा ऑन अराइवल ले सकते हैं. 


वहीं कंबोडियाई पासपोर्ट धारक जर्मनी आना चाहे तो उन्हें आमंत्रण पत्र की जरूरत पड़ती है. कंबोडियाई नागरिकों को पर्याप्त बैंक बैलेंस दिखाने के लिए छह महीने के बैंक स्टेटमेंट देने पड़ते हैं. उन्हें निजी दस्तावेजों के साथ-साथ अपनी आय और संपत्ति का सबूत भी देना पड़ता है. वीजा एप्लीकेशन की फीस 80 यूरो कैश में दी जाती है, जो नॉन रिफंडेबल रकम है . 


ऐसे में ये सवाल जरूर उठता है कि अलग अलग पासपोर्ट की ताकत इतनी जुदा क्यों है?


बता दें कि देशों की आर्थिक स्थिति इसके लिए जिम्मेदार होती है. हेनली एंड पार्टनर्स नाम की एक रेजीडेंस और सिटीजनशिप एडवाइजरी फर्म और इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) नियमित रूप से दुनिया के ताकतवर और कमजोर पासपोर्ट की रैंकिंग करते हैं. रैंकिंग के दौरान यह देखा जाता है कि किस पासपोर्ट के साथ कितने देशों में वीजा फ्री या वीजा ऑन अराइवल के तहत दाखिल हुआ जा सकता है. 


ताजा जारी रिपोर्ट में जापान, जर्मनी, स्पेन, इटली, फ्रांस, ब्राजील, अमेरिका और कनाडा को दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट की लिस्ट में रखा गया है.


जापान का नाम सबसे ऊपर क्यों


जापान का पासपोर्ट रखने वाले नागरिक कम से कम 193 देशों में आसानी से जा सकते हैं. दुनिया की पूरी जीडीपी में जी 7 की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा है. इन्हीं देशों में से कुछ में जीडीपी प्रति व्यक्ति भी सबसे ज्यादा है. ये अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़े हैं.


हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट ये कहती है कि, "दूसरे देश अमीर देशों के नागरिकों के लिए अपनी सीमाएं खोलने के लिए तत्पर रहते हैं, क्योंकि ऐसा करने से कारोबार, पर्यटन और निवेश के रूप में आर्थिक लाभ मिलने की संभावना रहती है."


हेनली एंड पार्टनर्स के मुताबिक " ज्यादा गरीब और आर्थिक अस्थिरता वाले देशों के पासपोर्ट होल्डरों को, वीजा अवधि से ज्यादा समय तक नहीं रहने दिया जाता है. इन्हें दूसरे देशों में जोखिम पैदा करने वालों की तरह देखा जाता है. " यही वजह है कि उनके आगमन पर कई तरह की शर्तें और बंदिशें लगाई जाती हैं.



  • स्लोवाकिया, लिथुआनिया और हंगरी 10वें स्थान पर है. इन देशों का पासपोर्ट रखने वाले 181 देशों में वीजा फ्री घूम सकते हैं.

  • न्यूजीलैंड, माल्टा, चेक रिपब्लिक, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया 9वें स्थान पर है. इन पांच देशों के नागरिक 183 देशों में वीजा फ्री घूम सकते हैं.

  • अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, ग्रिस और बेल्जियम 8वें नंबर पर है. इन देशों के नागरिक 184 देशों में वीजा फ्री घूम सकते हैं. 

  • 2022 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका छठे से आठवें स्थान पर आया है. इसकी वजह ईरान के साथ उसके खराब संबंध है.

  • स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल, नीदरलैंड, आयरलैंड,ऑस्ट्रेलिया सातवें नंबर पर है. यहां के पासपोर्ट धारक 185 देशों में वीजा फ्री जा सकते हैं.

  • स्वीडन, फ्रांस छठवें नंबर पर है.  यहां के लोग 186 देशों में जा सकते हैं.

  • स्पेन, लक्जमबर्ग, डेनमार्क के पासपोर्ट धारक लोग 187 देशों की यात्रा पर जा सकते हैं. 

  • इटली , फिनलैंड के पासपोर्ट धारक लोग 188 देशों में जा सकते हैं.

  • जर्मनी और दक्षिण कोरिया के लोग तीसरे स्थान पर हैं.

  • सिंगापुर का पासपोर्ट दूसरे नंबर पर ताकतवर है. यहां के पासपोर्ट धारक 190 देशों में बेझिझक घूम सकते हैं.

  • जापान नंबर 1 पर है. यहां के पासपोर्ट धारक 191 देशों में वीजा फ्री घूम सकते हैं. 


अमेरिका में लगातार गिरावट, एपीएसी देशों की बढ़ रही ताकत


हेनले इंडेक्स को पिछले 16 सालों में ये पाया है कि यूरोपीय संघ के अधिकांश देशों- यूके और अमेरिका सबसे शक्तिशाली थे. इनके पासपोर्ट धारक नागरिकों को दुनिया भर के अधिक देशों में बिना वीजा के पहुंचने की अनुमति थी. हालांकि, अब एपीएसी देशों (एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 13 देशों) के सबसे शक्तिशाली होने की प्रवृत्ति है. 


पिछले सात सालों में, अमेरिका 2022 में शीर्ष स्थान से गिरकर आठवें नंबर पर आ गया है. यह लगातार चौथा साल है जब जापान ने सिंगापुर के साथ टाई किया है और दूसरे नंबर पर है. 


क्या कमजोर पासपोर्ट अब हर किसी के लिए समस्या है


कोविड-19 से जो सबसे बड़ी बात साफ हुई है, वह यह है कि पासपोर्ट की समृद्धि सिर्फ एक राष्ट्र के आर्थिक प्रभाव से नहीं जुड़ी है. ये सामाजिक स्वतंत्रता  से भी जुड़ी है. फोर्ब्स में छपी खबर के मुताबिक न्यूसिटीज में एप्लाइड रिसर्च के निदेशक ग्रेग लिंडसे कहते हैं, " कोविड 19 की वजह से लोग दूसरे देशों में काम की तलाश में जा रहे हैं. जिस देश के पासपोर्ट धारक को ज्यादा देशों में बिना वीजा के जाने की अनुमति है उनको फायदा मिल रहा है.


सबसे कमजोर पासपोर्ट 



  • उत्तर कोरिया (39 गंतव्यों)

  • लीबिया, नेपाल (38)

  • फिलिस्तीनी क्षेत्र (37)

  • सोमालिया, यमन (33)

  • पाकिस्तान (32)

  • सीरिया (29)

  • इराक (28)

  • अफगानिस्तान (26)


पासपोर्ट देने के लिए रखी जाती है शर्त? 


कुछ समय पहले तक यूरोपीय संघ के देश किसी तीसरे देश के नागरिक को ईयू पासपोर्ट खरीदने की छूट शर्त के साथ देते थे. शर्त के मुताबिक ऐसे लोगों को उस देश में बड़े पैमाने पर निवेश करना होगा. बाद में राजनीतिक दबाव की वजह से ऐसी स्कीमें बंद हो गयी. यह ट्रेंड अब मध्य पूर्व के देशों शुरू हुआ है. कई दूसरे देश भी ऐसा कर रहे हैं.


रिपोर्ट के मुताबिक माल्टा आज भी निवेश के बदले पासपोर्ट दे रहा है. माल्टा यूरोपीय संघ के सदस्यों में शामिल देश है. अमीरों को यूरोपीय संघ का पासपोर्ट बेचने की यह रियायत हमेशा विवादों में रही है.


इसकी वजह ये है कि जो लोग सामान्य तरीके से अपना पासपोर्ट बदलते हैं, उन्हें लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ अगर आप पर्याप्त अमीर है तो आपको ये मिल जाएगा . अगर आप गरीब हैं तो आपको लंबा संघर्ष करना पड़ेगा.


पासपोर्ट के रंग से भी पड़ता है फर्क 


सभी पासपोर्ट पर चार हल्के रंगों में से एक होता है- लाल, नीला, काला या हरा. इन रंगों को चुनने का प्राथमिक कारण यह है कि ये रंग ज्यादा आधिकारिक दिखते हैं. 


इसके राजनीतिक कारण भी हैं;  मार्च 2020 के बाद सभी नए पासपोर्ट के लिए यूके सरकार ने गहरे नीले रंग में बदलने तक ब्रिटिश पासपोर्ट बरगंडी था. तुर्की, इसके विपरीत जो यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहता है, इसने 2010 में अपना पासपोर्ट काले से बरगंडी में बदल दिया. कुछ देश अपने पासपोर्ट में कई अलग-अलग रंग की कोशिश की है.  अमेरिकी पासपोर्ट अतीत में लाल था फिर हरा और अब नीला हो गया है. नीले रंग के लिए अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अमेरिकी देशों  ने प्राथमिकता दी है. कई इस्लामी देश गहरे हरे रंग पसंद कर रहे हैं- यह पैगंबर मुहम्मद का पसंदीदा रंग था, 


लेकिन इसकी असल वजह क्या है समझते हैं.


अमेरिका इसका अच्छा उदाहरण हैं. अमेरिका में पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले का स्टेट्स सिंबल के हिसाब से पासपोर्ट का रंग तय होता है. अमेरिका पासपोर्ट पांच रंगों के होते हैं.


आम व्यक्ति के लिए ब्लू रंग का पासपोर्ट - ये आम लोगों के लिए होता है, इसकी वैधता 10 सालों की होती है. 16 साल का कोई भी अमेरिकी नागरिक इसे बनवाने के लिए आवेदन कर सकता है. 


ब्राउन पासपोर्ट सरकारी नौकरी वालों के लिए-  अमेरिकी सरकार के कर्मचारी या सेना के जवान जो ड्यूटी के लिए विदेश जा रहे हैं.


काला पासपोर्ट राजनयिकों के लिए- इसका वैधता पांच साल होती है.


हरा पासपोर्ट प्रवासियों के लिए- ये व्यावहारिक तौर पर पासपोर्ट नहीं होता है. इसका मतलब ये हुआ कि इस पासपोर्ट को रखने वाला कोई भी अमेरिकी नागरिक नहीं है. जिन प्रवासियों ने अमेरिका में स्थायी नागरिकता ले ली है उन्हें ही ये दिया जाता है. 


ग्रे पासपोर्ट  सरकारी ठेकेदार के लिए- ये सरकार की तीसरी पार्टी के लोगों के लिए होता है. जो बाहर बिजनेस के लिए सरकारी एजेंसियों की तरफ से जाते हैं. बता दें कि कम से कम 68 देश ब्लू पासपोर्ट का ही इस्तेमाल करते हैं.