Sri Lanka Crisis: श्रीलंका (Sri Lanka) एक गहरे राजनीतिक और आर्थिक संकट में फंस गया है और बुधवार को देश के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) देश से भाग निकले, जिसके बाद देश में प्रदर्शन और तेज हो गए. इस बीच देश में आपातकाल (Emergency) की घोषणा कर दी गई है और पीएम रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) कार्यवाहक राष्ट्रपति बन गए हैं. जानते हैं यह सारा संकट कैसे और कब शुरू हुआ: -
1 अप्रैल - आपातकाल की स्थिति
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आपातकाल की अस्थायी स्थिति की घोषणा की, सुरक्षा बलों को विरोध प्रदर्शनों के बाद संदिग्धों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए.
3 अप्रैल - कैबिनेट ने इस्तीफा दिया
श्रीलंका के लगभग पूरी कैबिनेट ने देर रात की बैठक में इस्तीफा दे दिया, जिससे राजपक्षे और उनके भाई महिंदा (प्रधानमंत्री)- अलग-थलग पड़ गए. इसके एक दिन बाद केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने इस्तीफे की घोषणा कर दी
5 अप्रैल - राष्ट्रपति की मुश्किलें बढ़ीं
राष्ट्रपति राजपक्षे की मुश्किलें और गहरी हो गईं क्योंकि वित्त मंत्री अली साबरी ने नियुक्ति के एक दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया. पूर्व सहयोगी दलों ने उनसे पद छोड़ने का आग्रह किया. इसके बाद उन्होंने आपातकाल की स्थिति को हटा लिया.
10 अप्रैल - दवा की कमी:
श्रीलंका के डॉक्टरों ने कहा जीवन रक्षक दवाएं लगभग समाप्त हो गई हैं, उन्होंने चेतावनी दी की यह संकट कोरोनोवायरस से अधिक लोगों की जान ले सकता है.
19 अप्रैल – पहली मौत
कई हफ्तों से जारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कार्रवाई में एक प्रदर्शनकारी की मौत.
9 मई - हिंसा का दिन:
सरकार सर्मथकों और प्रदर्शनकारियों में हिंसक झड़प. 9 लोगों की मौत. भीड़ ने हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को निशाना बनाया और सांसदों के घरों में आग लगा दी. महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. हजारों प्रदर्शनकारी कोलंबो में उनके आवास में घुस गए जिसके बाद उन्हें सैनिकों द्वारा बचाया गया. रानिल विक्रमसिंघे बाद में महिंदा की जगह नए पीएम बनें.
10 मई - गोली मारने के आदेश:
रक्षा मंत्रालय ने सैनिकों को लूटपाट या "जीवन को नुकसान पहुंचाने" में शामिल किसी भी व्यक्ति को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया. इस बीच प्रदर्शनकारियों ने नए सरकारी कर्फ्यू को मानने से कर दिया, कर्फ्यू को सप्ताह के अंत में हटा लिया गया. कोलंबो में शीर्ष पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की गई और उनके वाहन में आग लगा दी गई.
10 जून - 'मानवीय आपातकाल':
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी कि श्रीलंका एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है, जिसमें लाखों लोगों को पहले से ही सहायता की आवश्यकता है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि देश में गंभीर भोजन की कमी के कारण तीन-चौथाई से अधिक आबादी ने अपने भोजन का सेवन कम कर दिया है.
27 जून – ईंधन की बिक्री रोकी गई
सरकार ने कहा कि श्रीलंका में लगभग ईंधन खत्म हो गया है और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर पेट्रोल की बिक्री पर रोक लगाई जाती है.
9 जुलाई
हजारों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास में धावा बोला. हालांकि राजपक्षे इससे पहले निकल चुके थे. प्रदर्शनकारियों ने पीएम के घर में भी आग लगा दी. राष्ट्रपति राजपक्षे ने 13 जुलाई को इस्तीफा देने की घोषणा की.
13 जुलाई - राष्ट्रपति देश से भागे
राष्ट्रपति राजपक्षे अपनी पत्नी और दो अंगरक्षकों के साथ श्रीलंका से मालदीव भाग गए जिसके बाद कोलंबो में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया. पीएम हाउस में प्रदर्शनकारी घुस गए. प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी. उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति भी नियुक्त किया गया.
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