United Nations Peacekeeping: ओवेन ग्रीने, प्रोफेसर ऑफ इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड डेवलपमेंट, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैडफोर्ड ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र( UN) को लेकर क्या कहा? यूएन के शांति रक्षा अभियानों का उद्देश्य संघर्ष प्रभावित देशों में सतत सुरक्षा और शांति स्थापित करना है लेकिन इसके लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय राजनीति, संसाधनों और अपने अभियान के प्रबंधन की चुनौतियों से भी जूझना पड़ता है. शीत युद्ध (Cold War) के बाद से संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियानों को युद्ध को जल्द खत्म करने, नागरिकों की रक्षा करने, दीर्घकालीन शांति और सुरक्षा को समर्थन देने के उद्देश्य से तैयार किया गया. इसके लिए शांति समझौतों को लागू करने में सैन्य कार्रवाई और कूटनीति की आवश्यकता होती है.


संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा अभियानों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग कम हो रहा है और दुनिया में तनाव जैसी चुनौतियां बढ़ रही हैं. हाल के हफ्तों में कांगो गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों के खिलाफ प्रदर्शनों में हिंसा भड़क उठी और कई लोगों को जान गंवानी पड़ी. शांति रक्षा अभियानों के 1991 से 2011 के बीच के अनुभव दिखाते हैं कि सफलता के लिए उन्हें युद्ध से देशों में पैदा हो रहे व्यापक मुद्दों से निपटने की आवश्यकता होती है. इनमें पुलिस, न्याय और सशस्त्र समूहों का निरस्त्रीकरण शामिल है ताकि संघर्ष के बाद वैध और स्थायी सरकार बनायी जा सके, शरणार्थी लौट सकें, महिलाओं को सुरक्षा दी जाए और सशक्त बनाया जा सके तथा रोजगारों का सृजन किया जा सकें. 


किसी देश में यूएन की ओर से शांतिरक्षकों को भेजने का फैसला कौन करता है? 


किसी देश में शांति रक्षकों को भेजने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) करती है और फिर संयुक्त राष्ट्र सचिवालय पर इस अभियान के लिए विस्तारपूर्वक रणनीति बनाने तथा उसे लागू करने की जिम्मेदारी होती है. वे आम तौर पर अभियान के लिए हजारों कर्मियों को भेजते हैं. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से सैन्य तथा पुलिस कर्मियों के रूप में योगदान देने का अनुरोध किया जाता है, जिसके लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र निधि से वेतन दिया जाता है. यह कई विकासशील देशों की सशस्त्र सेनाओं के लिए आय का प्रमुख स्रोत है. अमेरिका, ब्रिटेन या फ्रांस जैसे अन्य देश अपनी अलग सशस्त्र सेनाएं भी भेज सकते हैं. ये बल संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों का समर्थन करते हैं.


चुनौतियां क्या है? 


संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय तथा स्थानीय एजेंसियों ने प्रत्येक मिशन के मुद्दों से निपटने के लिए कई कार्यक्रम बनाए हैं. इसी तरह राष्ट्र सरकारों और अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी संगठनों (NGO) ने अपने कार्यक्रम बनाए हैं. इसमें सैकड़ों संगठन संयुक्त राष्ट्र मिशनों में योगदान देने के लिए हजारों कर्मियों और स्थानीय कर्मियों को जोड़ सकते हैं लेकिन अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर. यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि यूएन का इस जटिल शांति रक्षा प्रक्रिया का समन्वय एक वास्तविकता से ज्यादा एक आकांक्षा है. प्रत्येक मिशन की अगुवाई करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के एक उच्च प्रतिनिधि को नियुक्त किया जाता है.


ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जब संयुक्त राष्ट्र मिशन भ्रष्टाचार पर ज्यादा कुछ करते दिखाई नहीं दिए. अन्य मामलों में शांति सेना ने हिंसा से नागरिकों की रक्षा के लिए कदम नहीं उठाया जैसे कि दक्षिण सूडान. संयुक्त राष्ट्र के कर्मियों का अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए यौन शोषण की घटनाओं से भी नाता रहा है.


समर्थन क्यों कम हो रहा है?


संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के लिए पास अधिकार न होने के कारण इन समस्याओं से निपटना मुश्किल है. समर्थन कम होना. संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग 2011 के बाद से कम हो गया है. भारत और चीन जैसे कुछ प्रभावशाली देश संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियानों के को लेकर संतुष्ट नहीं हैं. पश्चिमी देशों से भी पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है खासतौर से ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका की नीति तथा वित्त पोषण में बदलाव आने के बाद से.


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