Grindavik Iceland: दक्षिण-पश्चिम आइलैंड में पिछले एक साल से सक्रिय ज्वालामुखी ने लोगों की जिंदगी में रोमांच और तबाही का मिला-जुला असर छोड़ा है. क्लारा हॉल्डोरसडॉत्तिर, जिन्होंने ग्रिंडविक में अपना पूरा जीवन बिताया है, इस ज्वालामुखी से मंत्रमुग्ध हैं. उन्होंने इस ज्वालामुखी की लपटों को और जमे हुए लावा की नदी को देखा है, लेकिन यही ज्वालामुखी उन्हें अपना घर छोड़ने पर मजबूर भी कर चुका है. पिछले नवंबर में, भूकंपों के लहर के बीच उनका परिवार जल्दी से अपने घर छोड़ने के लिए तैयार हुआ.
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, आज ग्रिंडविक का इलाका लगभग वीरान है. जहां पहले लोग बसे थे, वहां अब ज्वालामुखीय लावा ने कई घरों को घेर लिया है. ग्रिंडविक के कुछ लोग धीरे-धीरे वापस लौट रहे हैं, लेकिन क्लारा जैसे कई लोग वापसी के बारे में आशंकित हैं. आइलैंड में ज्वालामुखियों का इतिहास पुराना है; यह जमीन खुद ज्वालामुखीय गतिविधियों से बनी है लेकिन हाल के विस्फोटों ने इसके दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में विनाश और भविष्य की चिंता को गहरा कर दिया है.
काफला: ऊर्जा का संभावित नया स्रोत
इस बीच, उत्तरी आइसलैंड में काफला नाम के ज्वालामुखीय क्षेत्र में वैज्ञानिकों की एक टीम एक नई तरह की ऊर्जा क्रांति का प्रयास कर रही है. 2009 में इस क्षेत्र में एक ज्वालामुखीय मैग्मा कक्ष पाया गया था, जिसने सुपरचार्ज जियोथर्मल ऊर्जा के लिए संभावनाएं खोल दी हैं. काफला मैग्मा टेस्टबेड प्रोजेक्ट का उद्देश्य इस मैग्मा की ऊष्मा और दबाव को ऊर्जा उत्पादन में परिवर्तित करना है.
'सीमाओं से परे': जियोथर्मल ऊर्जा का भविष्य
इस ऊर्जा स्रोत को पूरी तरह विकसित करने के लिए सालों की मेहनत की जरूरत होगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस मैग्मा से उत्पन्न ऊर्जा सीमित नहीं रहेगी. आइलैंड की 90% आबादी पहले से ही जियोथर्मल ऊर्जा का उपयोग कर रही है. अगर मैग्मा का सही उपयोग हो सके, तो यह पारंपरिक ऊर्जा से दस गुना अधिक ऊर्जा उत्पादन करने में सक्षम होगा.
ग्रिंडविक का खालीपन और भविष्य की संभावनाएं
काफला परियोजना के सफल होने पर, केवल आइसलैंड ही नहीं, बल्कि विश्व भर के उन क्षेत्रों को लाभ होगा जो सक्रिय ज्वालामुखियों के पास हैं. ज्वालामुखी आइलैंड की जिंदगी का हिस्सा हैं और इसके विनाशकारी प्रभावों को रोकने के लिए यह परियोजना न केवल क्लारा जैसे लोगों को सुरक्षित रख सकेगी, बल्कि पृथ्वी के लिए एक स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत भी बन सकती है.
ये भी पढ़ें: 500 साल बाद 'आंख खोलने' वाला है ये ज्वालामुखी, मंडरा रहा विस्फोट का खतरा, जा सकती हैं लाखों जिंदगियां