बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मंगलवार को फ्रांसीसी सामानों के बहिष्कार की मांग के समर्थन में हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की तस्वीर का एक बड़ा कट-आउट भी लाए थे जिसके गले में जूते लटकाए गए थे. फ्रांसीसी राष्ट्रपति का पुतला भी फूंका गया. तुर्की, पाकिस्तान और बांग्लादेश में फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों का भारी विरोध हो रहा है. पिछले हफ्ते मैक्रों की टिप्पणी से मुस्लिम-बहुल देश नाराज हो गए, जिसमें उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के कार्टून के प्रकाशन या प्रदर्शन की निंदा करने से इनकार कर दिया था.
इस वजह से हो रहा मैक्रों का विरोध
चेचन मूल के एक 18 वर्षीय व्यक्ति पर 16 अक्टूबर को पेरिस के पास एक फ्रांसीसी शिक्षक का सिर काटने का आरोप है, जिन्होंने पैगंबर मुहम्मद के कार्टून दिखाए थे. इस घटना के बाद राष्ट्रपति एमैनुअल मैंक्रो द्वारा इस्लामी अतिवाद के खिलाफ सख्त रूख अपनाए जाने के बाद तुर्की और अरब देशों में फ्रांस-विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं और फ्रांसीसी चीजों का बहिष्कार करने का आह्वान किया जा रहा है. वैसे तो यूरोपीय सहयोगियों ने मैक्रों का समर्थन किया है लेकिन मुस्लिम बहुल देश पैगंबर के कार्टून पर उनके रूख से नाराज हो गए हैं. ये देश इसे इस्लाम का अपमान मानते हैं.
फ्रांस धार्मिक व्यंग्य को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आने वाली चीजों में से एक मानता है, जबकि कई मुसलमान पैगंबर पर किसी भी कथित व्यंग्य को गंभीर अपराध मानते हैं.
बांग्लादेश में उमड़ा जनसैलाब
इस्लामिक कानून लागू करने की वकालत करने वाले एक समूह ‘इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश’ ने ढाका में रैली आयोजित की थी. इस समहू ने दुनिया भर के मुसलमानों से फ्रांसीसी उत्पादों का बहिष्कार करने का आग्रह किया है. इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के प्रमुख रेजाउल करीम ने फ्रांस से पैगंबर मुहम्मद के किसी भी व्यंग्य चित्र को प्रदर्शित करने से परहेज करने का आग्रह किया.
पाक ने किया फ्रांसीसी राजदूत को तलब
पाकिस्तान ने पैंगंबर साहब पर कार्टून के प्रकाशन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बयान पर तीखा विरोध दर्ज कराने के लिए फ्रांसीसी राजदूत मार्क बरेती को तलब किया. वहीं देश की संसद ने सरकार से पेरिस से अपना दूत वापस बुलाने की मांग की. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने नेशनल असेंबली में एक प्रस्ताव रखा जिसमें फ्रांस में कार्टून के प्रकाशन और कुछ देशों में "इस्लाम के खिलाफ कृत्यों की निंदा की गई. इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया.
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