Protests in Tibet against China : तिब्बत में चीन के कब्जे को खिलाफ भड़कती चिंगारी अब आग बनने लगी है. इस साल की शुरुआत में हीं तिब्बत में चीन के खिलाफ बहुत बड़ा प्रदर्शन हुआ था. BBC ने अपनी रिपोर्ट में भी इस प्रदर्शन की जानकारी दी है. तिब्बत में इस तरह का विरोध प्रदर्शन बहुत ही दुर्लभ है. 7 दशक पहले चीन की कम्यूनिस्ट सरकार ने 1950 के दशक में तिब्बत पर कब्जा किया था. इसके बाद से तिब्बत में चीन का सख्त कानून लागू है. हालांकि इतनी सख्ती के बाद भी तिब्बत में इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन का होना इस बात की गवाही देते हैं कि अब तिब्बत के लोग चीन के अत्याचारों को और सहने को बिल्कुल तैयार नहीं है.
तिब्बत में विरोध प्रदर्शन के पीछ क्या है कारण?
BBC ने तिब्बती स्रोतों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में इस बड़े विरोध प्रदर्शन की पुष्टि की है, जो तिब्बत में बनाए जा रहे बांध को लेकर शुरू हुए थे. दरअसल, चीन तिब्बत के संवेदनशील क्षेत्र में बांध बनाने जा रहा है, जिसे लेकर तिब्बत के लोगों ने भारी विरोध जताया है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इस विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़ा पैमाने पर दमन अभियान चलाया. इसके तहत सैकड़ों तिब्बती लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें यातनाएं दी गईं. तिब्बत में चीनी अत्याचार को सच साबित करते हुए कई लीक वीडियो भी सामने आए हैं.
चीनी बांध से डूब जाएगी तिब्बती संस्कृति
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के अधिकारी गंगटू बांध और हाइड्रो पावर प्लांट बनाने की योजना बना रहे हैं. इसे तिब्बती में कामटोक भी कहा जाता है. चीन की यह प्रस्तावित परियोजना डेगे और जियांगडा में फैली घाटी में हैं. बताया गया कि बांध के बन जाने के बाद इसकी झील तिब्बतियों के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके को डुबो देगी. जिसमें तिब्बत कई पवित्र मठ भी शामिल है. इसके अलावा इस बांध के निर्माण के कारण हजारों तिब्बतियों को विस्थापित होना पड़ेगा. हालांकि, फरवरी 2024 में अधिकारियों के आदेश के बाद स्थानीय निवासियों और बौद्ध भिक्षुओं ने विरोध प्रदर्शन का फैसला लिया.
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