Human Rights Day 2020: जानिए क्यों हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस और क्या है इसका इतिहास
इस साल अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की थीम, ‘रिकवर बेटर-स्टैंड अप फॉर ह्यूमन राइट्स’ है. इस थीम को कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई स्थिति की वजह से रखा गया है. दरअसल कोरोना संक्रमण ने पूरी दुनिया के लोगों के सामने उनके अधिकारों को लेकर मुश्किल खड़ी कर दी है.
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हर साल 10 दिसंबर 2020 को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस या विश्व में रहने वाले हर नागरिक के अधिकार दिवस को मनाया जाता है. दरअसल 1948 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र सामान्य महासभा द्वारा मानव अधिकारों को अपनाने की घोषणा की गई थी लेकिन आधिकारिक तौर पर 1950 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने10 दिसंबर के दिन मानवाधिकार दिवस मनाने की घोषणा की थी. मानवाधिकार दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व के सभी लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और भेदभाव रहित स्वतंत्रतापूर्ण जीवन जी सके. मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक व शिक्षा का अधिकार भी शामिल है.
ये है इस साल की थीम
इस साल मानवाधिकार दिवस की थीम, ‘रिकवर बेटर-स्टैंड अप फॉर ह्यूमन राइट्स’ है. इस थीम को कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई स्थिति की वजह से रखा गया है. इसका उद्देश्य सभी हितधारकों और भागीदारों के साथ जुड़ना है और परिवर्तनकारी कार्रवाई के लिए लोगों को शामिल करना है. इस मौके पर यूएन महासचिव द्वारा वीडियो संदेश जारी कर कहा गया है कि कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए प्रयासों, लैंगिक समानता, जनभागीदारी, जलवायु न्याय और टिकाऊ विकास में मानवाधिकारों को महत्व दिए जाने की अत्यंत आवश्यकता है.
1993 में भारत में अमल में लाया गया मानवाधिकार कानून
वहीं भारत में 28 सितंबर 1993 को मानवाधिकार कानून को अमल में लाया गया था और 12 अक्टूबर, 1993 को ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ का गठन किया गया था. मानवाधिकार भारतीय संविधान के भाग-3 में मूलभूत अधिकारों के नाम से उल्लेखित हैं. इन अधिकारों का उल्लंघन करने वाले या हनन करने वाले को कानून में सजा का प्रावधान भी है. गौरतलब है कि मानवाधिकार दिवस हमारे समुदायों में मानव अधिकारों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने और महामारी के बाद फिर से निर्माण करने के लिए दुनिया भर में एकजुटता का एक बड़ा अवसर है.
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